कुछ दिनों बाद...
कुसुम के कालेज में..
अंजलि:- कुसुम तुम लोग भी जा रहे हो क्या..?बाबा रामदेव जी के मेले में..?
कुसुम:- हाँ ..पापा कल ही बात कर रहे थें इस बारे में...वैसे तो हर साल पापा अकेले ही जातें थें पर इस बार मैं और मां भी जा रहे हैं..।तु भी चल रहीं हैं ना...?
अंजलि:- अरे यार मेरी तो बहुत इच्छा हैं..मै तो हर साल जाती हूँ पर इस बार नहीं जा पाउंगी...माँ की तबीयत थोड़ी ठीक नहीं हैं..।एक काम करना...इस बार मेरी जगह तु मेरी ओर से भी दर्शन कर लेना...।
कुसुम:- ये भी कोई कहने वाली बात हैं...पक्का...और तेरी पंसद के बुंदी के लड्डू भी ले आऊंगी...।
अंजली मुस्कुराते हुए:- थैक्यु यार...।
अगले दिन सुबह छह बजे...
कुसुम:- माँ कितनी देर लगेगी अभी आपको.... जल्दी करो....।
आयशा:- हां बेटा बस दो मिनट...।
रवि:- अरे क्या कर रहीं हो... मंदिर जा रहे हैं.... पिकनिक पर थोड़ी जा रहे हैं...।
आयशा:- हां जानती हूँ.... आप दोनों को तो बस तैयार होना हैं... मुझे ही सब चीज़ें देखनी पड़तीं हैं जी...।
वहाँ से आते आते शाम हो जाएगी.... आने के बाद आप दोनों तो बैठ जाएंगे... गप्पे लगाने.... मुझे तो आकर फिर से वही सब काम करने हैं ना..!
कुसुम:- अरे माँ... आप क्यूँ इतना परेशान हो रहीं हैं.... मैं आकर आपकी मदद कर दुंगी....।
रवि आयशा के कंधे पर हाथ रखते हुए:- मैं भी कर दूंगा.... जो तुम कहोगी... अभी चले..।
ऐसा कहकर तीनों रामदेव जी के मंदिर के लिए निकल पड़े...।।।। सड़क किनारे बस स्टैंड पर बस का इंतजार कर रहे थे.... थोड़ी देर में बस आई और तीनों उसमें बैठकर चल दिए..।
पूरी बस श्रद्धालुओं से भरी हुई थी.... वो बस खासकर रामदेव जी के दर्शन करने वाले लोगों को ही ले जाने के लिए थी....।।।। भजन कीर्तन करते हुए... गाते बजाते.... बढ़े ही भक्तिमय माहौल में सभी आंनद लेकर मंदिर की ओर जा रहें थे....। कुछ ही दूरी तक जातें जातें बस खचाखच भर चुकीं थी.... बस की छत पर भी काफी लोग बैठे हुए थे...।
लेकिन किसे पता था ये हंसने गाने वाले पल मातम मे बदलने वाले थे...।
तकरीबन एक घंटे का सफर ही तय किया होगा कुसुम और उसके परिवार वालों ने की.... बस में ओवरलोड की वजह से सड़क पर एक मुड़ाव को ठीक से संभाल नहीं पाई और बस अपना बैलेंस खो बैठी.... और पलट गई...।पलटने की वजह से बस सड़क किनारे बनीं छोटी सी खाई में लुढ़क गई...। चारो और अफरातफरी का माहौल छा गया..। आस पास के गाँव के लोगों को जब हादसे का पता चला तो.. वो लोग उस जगह पहुंचे लोगों की मदद करने लगे खाईं में से निकालने में..। माहौल रोंगटे खड़े कर देने वाला था..। कुछ लोग बस के नीचे कुचले हुए पड़े थे... कुछ घायल अवस्था में मदद के लिए चिल्ला रहे थे... कुछ बेहोश अवस्था में थे...। जो सही सलामत थे वो खाईं से बाहर आने की जद्दोजहद में लगे हुए थे..। हर तरफ़ रोना बिलखना.. चिल्लाना... बस ये ही सुनाई दे रहा था..।
कुसुम बेहोशी की अवस्था में खाईं के पास गिरी हुई थी..। उसके सर पर गहरी चोट आई हुई थी..।
कुछ ही देर में वहाँ पुलिस और दमकल के कर्मचारी पहुंचे और स्थानीय लोगों की मदद से राहत और बचाव का कार्य शुरू हुआ..।
घंटों की मशक्कत के बाद सभी घायलों को स्थानीय अस्पताल में भेजा गया... मृतकों को भी पास के सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर में रखा गया और बस को क्रेन की मदद से बाहर निकालने का कार्य किया गया...। उस हादसे में 25 लोग मारे जा चुके थे जिसमें बस का ड्राइवर भी शामिल था... तकरीबन 50 से 60 लोग घायल अवस्था में अस्पताल में थे...। कुसुम भी उनमें से एक थी...।
लेकिन कुसुम इस बात से अभी तक बिलकुल अंजान थी की उसके माँ और पापा दोनों उस हादसे में अपनी जान गंवा चुके थे...।
कैसा होगा कुसुम का आगे का सफर..... जानते हैं अगले भाग में...।
जय श्री राम...।