कुसुम जैसे तैसे अपने दिन गुजार रहीं थी..। उसे घरों में काम करके जो पैसा मिलता वो उससे अपने खर्चे और मकान का किराया चुकाती थी.। लेकिन उसकी जि़न्दगी बिल्कुल निरस हो चुकी थी.। ना किसी से ज्यादा बात करना.. ना किसी के घर आना जाना..। पड़ोस की कोई महिला भी अगर कभी कभार उसके घर हाल चाल लेने जाती तो भी वो बात नहीं करतीं थीं..। बस चुपचाप अंदर ही अंदर घुट रहीं थी..।
किरण:- कुसुम हम अगले महीने मुम्बई में शिफ्ट कर रहे हैं तो तुम्हारा जो भी हिसाब बनता हैं याद से ले लेना...।
कुसुम :- ठीक हैं दीदी..।
केतन:- अरे कुसुम..! तुम भी हमारे साथ मुम्बई क्यूँ नहीं चलती... वहाँ हमें जो फ्लैट मिल रहा हैं उस अकेली बिल्डिंग में ही 30- 40 फ्लैट हैं... तुम वहाँ पर ही कुछ फ्लैट का काम कर लेना..। वहाँ तो पैसा भी अच्छा मिल जाता हैं.. और किरण बता रहीं थी.. तुम्हारा यहाँ तो कोई रहता भी नहीं हैं..।
कुसुम:- नहीं सर... मैं क्या चलकर करुंगी वहाँ... मैं किसी को नहीं जानती वहाँ.. मैं यहीं ठीक हूँ..।
किरण:- कुसुम ये ठीक कह रहे हैं... ऐसे कब तक अपने परिवार वालों की याद में तड़पती रहेगी.. घुटती रहेगी...। माहौल बदलोगी तो तुम्हें भी थोड़ा अच्छा महसूस होगा..। नए शहर में नए लोगों से मिलोगी तो जिंदगी में आगे बढ़ पाओगी.... ऐसे चुपचाप... गुमसुम.. बैठीं रहोगी तो कैसे चलेगा..।
कुसुम:- लेकिन दीदी वहाँ रहूंगी कहाँ..! वहाँ तो किराए पर मकान भी कितने महंगे मिलतें होंगे..।
केतन:- उसका रास्ता मैं बता देता हूँ... देखो कुसुम.. हमें वहाँ 2बीएचके का फ्लैट मिल रहा हैं.. हम ठहरे दो लोग.. क्या करेंगे इतने बड़े घर का... तुम हमारे घर में रह लेना... बदले में हमारे घर का ध्यान रख लेना..। वहाँ का काम कर लेना..।
किरण:- हां कुसुम.. तुम एक बार ठीक से सोच लो... यहाँ भी तो हर महीने किराया दे रहीं हो ना... वहाँ कम से कम किराये की टेंशन तो नहीं रहेगी..।
कुसुम:- ठीक हैं दीदी.. जैसा आपको सही लगे.. वैसे भी मेरा यहाँ बिल्कुल मन नहीं लगता हैं..।
किरण:- ठीक है कुसुम तो अगले महीने चलो हमारे साथ..।
कुसुम:- जी दीदी..।
कुसुम अकेली थी... इसलिए घर पर किसी से पुछना या बताना तो था नहीं.... फिर भी उसने पड़ोस में रहने वाली काकी से सारी बात की..।
काकी :- देखो बेटा.. ये तुम्हारा व्यक्तिगत फैसला हैं... जैसा तुम्हें सही लगे करो..। लेकिन अन्जान शहर में... अन्जान लोगों के साथ... थोड़ा संभलकर रहना..। और कभी भी कुछ ऐसा लगे तो इस काकी के पास आ जाना..।
कुसुम ने उनकों गले से लगा लिया और कहा... शुक्रिया काकी...।
दिन बीते और कुसुम ने पड़ोस के सभी लोगों से विदा लेकर किरण और केतन के साथ मुम्बई के लिए चल दी..।
मुम्बई.......
किरण और केतन अपने फ्लैट में पहुंचे जो उन्हें आफिस की तरफ़ से मिला था...। किरण और केतन दोनों ही एक प्राइवेट आफिस में काम करते थे.. लेकिन दोनों को ही हर दो तीन सालों में अपना मकान शिफ्ट करना पड़ता था जो उन्हें आफिस की ओर से ही मिलता था..।
कुसुम ने भी अपने कपड़े एक तरफ हॉल में बनी अलमारी में रख दिए और घर के कामों में आते ही लग गई।
किरण ने कुछ दिनों में ही आस पास के फ्लैट में बात करके कुसुम को कुछ घरों में काम भी दिलवा दिया..।
कुसुम की जिंदगी ठीक तरह से ही चल रहीं थी...। लेकिन उसकी जिंदगी में असली तुफान का आना अभी बाकी था..।
कुछ महीनों तक तो सब कुछ अच्छे से चल रहा था...।
दिसम्बर माह की एक रात कुसुम के लिए कभी ना भूलने वाली रात साबित हुई...।
उस रात किरण और केतन को आफिस की तरफ से एक पार्टी में जाना था.... वो दोनों कुसुम को भी अपने साथ लेकर गए थे..। थोड़ी देर तक सब कुछ सामान्य ही था पार्टी में लेकिन हाई स्टेण्डर्ड लोगों की पार्टी हो शराब ना हो ऐसा तो मुमकिन ही नहीं था..। आफिस के सभी क्लाइंट ड्रिंक करते हुए डांस फ्लोर पर एक दूसरे के साथ डांस कर रहे थे...। एक शख्स ने कुसुम को भी ड्रिंक्स आफर की पर कुसुम ने साफ मना कर दिया...। लेकिन वो जबरदस्ती कुसुम को पीलाने लगा.... इस पर कुसुम ने पहले तो दो तीन बार उनकों रोकने की कोशिश की... लेकिन जब बात ज्यादा हो रहीं थी तो कुसुम ने उनकों धक्का मारा.... जिससे उस शख्स का बैलेंस बिगड़ गया क्योंकि वो पहले से ही नशे में था... और पास ही रखी कुर्सी से जा टकराया... जिससे उसके सिर में थोड़ी चोट आई..... लेकिन सिर से ज्यादा उनके स्वाभिमान पर चोट आई थी...। वो अपना सिर दबाते हुए.... कुसुम के पास पहुंचे और उसके बालों को खींचकर कहा :- दो कौड़ी की लड़की... तेरी इतनी हिम्मत.... तुने मुझे धक्का मारा.. मुझे चोट पहुंचाई.... मिस्टर शाह को मना किया.... अब तो तु गई...।
ये सब हालात देखकर सभी लोग वहाँ पहुंचे...। लेकिन किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी की कोई कुछ बोले..। हिम्मत करके केतन बोला:- क्या बात है सर..! क्या हुआ...?
शाह:- क्या हुआ.... ये देखो.... इस दो कौड़ी की लड़की ने मेरा सिर फोड़ दिया और तुम कहते हो क्या हुआ...!
केतन:- कुसुम.... ये सब क्या हैं... चलो माफी मांगो सर से... अभी...
कुसुम:- लेकिन गलती इनकी हैं.... ये मुझे जबरदस्ती शराब पिला रहें थे... ये....
केतन:- वो जो भी हैं.... तुम्हारी वजह से चोट आई हैं ना इनको.... माफी मांगों.....
कुसुम:- आइ एम सारी....।
शाह:- तुम्हारे माफी से मेरी तकलीफ कम नहीं होगी.... मेरा सारा नशा उतार दिया... एक शर्त पर ही माफ करूँगा.... ये लो और इसे खाली करो...। ( शाह ने एक शराब की बोतल आगे करते हुए कहा..)
लो जल्दी करो... वरना ना तुम्हें कभी माफी मिलेगी.... और ना तुम्हें कभी तरक्की.... समझें मिस्टर केतन...अगर अपनी तरक्की चाहते हो... बोनस चाहते हो तो... बोलो इसको ये बोतल खाली करें...।
केतन:- लेकिन सर.... वो ....
शाह:- मुझे कोई बहस नहीं करनी हैं.... जैसा कहा हैं.... वैसा करो.... वरना कल सुबह किसी और आफिस में काम ढुढ़ लेना....।
किरण:- सर प्लीज.... बात को समझिये.... इतनी सी बात के लिए.... हमारी सालों की मेहनत व्यर्थ मत किजिए.... प्लीज सर.....
शाह:- किरण..... मुझसे बहस करने से अच्छा हैं... उस लड़की को समझाओ...।
केतन और किरण ने अपनी तरफ़ से हर मुमकिन कोशिश की पर शाह कुछ मानने को तैयार ही नहीं था..। वो दोनों मजबूर होकर कुसुम के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए।
कुसुम उनको ऐसे देख कर सोच में पड़ गई.... इन दोनों की इसमें क्या गलती.... अगर सच में इनकी नौकरी चलीं गई तो.... उसकी वजह सिर्फ मैं होंगी...।। बहुत देर मन में चल रही उथल पुथल.... सवाल जवाब से झुझने के बाद... कुसुम शाह के पास गई और उनके हाथ में रखी शराब की बोतल छीनकर....एक ही बार में रोते रोते पूरी बोतल खाली कर दी...। बोतल खाली होतें ही.. कुसुम वहीं बेसुध होकर गिर गई...। शाह के कहने पर उसके दो आदमियों ने कुसुम को एक कमरे में सुला दिया...।
सभी लोग फिर से अपनी पार्टी में व्यस्त हो गए..।
शाह:- केतन ..... बहुत खुब एक्टिंग कर लेते हो.... और भाभी जी आपका तो क्या कहना...। तीनों ठहाके लगाकर हंसने लगे...। चलो अभी मैं चलता हूँ... तुम बहार संभालो..।
ऐसा कहकर शाह उसी कमरे में गया जहाँ कुसुम बेहोश पड़ी हूई थी...।।।
शाह ने वहाँ जाकर क्या किया होगा.... ये तो आप समझ ही चुके होंगे...।
शाह के बाद केतन भी वहाँ गया और बेहोश कुसुम के साथ उसने भी मनमानी की....।
अफ़सोस की बात तो ये हैकी इन सबमें किरण भी शामिल थी....।। और कुसुम इन सब बातों से अंजान थी..।
वो काली रात कुसुम का सब कुछ ले चुकी थी...जिससे कुसुम पुरी तरह अंजान थी...।
कुसुम को कैसे पता चलेगा.... आगे उसकी जिंदगी में क्या होगा....। जानते हैं अगले भाग में....।
जय सियाराम....।