
चलते रहे, चलते रहे, यादों में यूं ही बहते रहे,
जीते रहे, मरते रहे, हंसते रहे कभी रोते रहे,
किसके लिए ? किसके लिए ?
मेरी शामो-सहर अब किसके लिए ?
मेरे लिए, मेरे लिए, तेरी रूह-नज़र अब मेरे लिए,
किसके लिए ? किसके लिए ?
मेरा चैनो-सुकून अब किसके लिए ?
मेरे लिए, मेरे लिए, तेरा जिश्मों-जुनून अब मेरे लिए
...तेरे लिए, तेरे लिए, मेरे चारों पहर अब तेरे लिए...
नाम ना पता था, काम ना पता था,
खुद मुझे मेरा, अहसास ना पता था,
हर आहट से आप ही जुड़े थे,
सपनों में मेरा कोई खास ना पता था,
तपते रहे, तपते रहे,
मन की अगन में जलते रहे,
जगते रहे, सोते रहे,
गिरते रहे कभी उठते रहे,
किसके लिए ? किसके लिए ?
मेरी खोज-खबर अब किसके लिए ?
मेरे लिए, मेरे लिए, तेरी रस्मों-भंवर अब मेरे लिए,
किसके लिए ? किसके लिए ?
मेरे सातों-जनम अब किसके लिए ?
मेरे लिए, मेरे लिए, तेरा शानों-वहम अब मेरे लिए,
...तेरे लिए, तेरे लिए, मेरे चारों पहर अब तेरे लिए...
महका समां था, पल भी जवां था,
ज़ज्बों में इश्क़ का इक तूफां था,
थमता जहां था, तू भी वहां था,
लब्जों में ठंडी इक आह का बयां था,
ढ़लते रहे, ढ़लते रहे,
लौ की तरह बस बुझते रहे,
सजते रहे, संवरते रहे,
कहते रहे कभी सुनते रहे,
किसके लिए ? किसके लिए ?
मेरा गीत-ग़ज़ल अब किसके लिए ?
मेरे लिए, मेरे लिए, तेरा बेकल मन
अब मेरे लिए,
किसके लिए ? किसके लिए ?
मेरा रूप-श्रृंगार अब किसके लिए,
मेरे लिए, मेरे लिए,
तेरा रंगी-खुमार अब मेरे लिए,
...तेरे लिए, तेरे लिए, मेरे चारों पहर
अब तेरे लिए...