कैसे कटी उमरिया?बाजार बसता नहीं उजड़ताजा रहा हैं।ब्यपरियों के बाजारीआकडे सब फेल हैं।मुसीबतों के घेरेमे मंदी से भागती रेल हैं।जहाँ न मिला कट वहीहाइवे जाम हैं।चटक रोशनी ठंड भरेकोहरे से परेशान हैं।ओढ़ लो और गम की रज़ाईआंखो मे नींद नहीं।पढ़ना लिखना ब्यर्थसा लगने लगा,कोतवाली थाना आग मेजलने लगा। किसान भी मैसम