_______________________________________________________◽◽◽◽◽◽◽◽◽◽
प्रीती मन में सोचते हुए क्या है..? महादेव कुछ लोगो की जिंदगी में इतनी खुशियां भर देते हैं आप की वो उन खुशियों को संभाल भी नहीं पाते हैं!
वहीं कुछ लोगो की जिंदगी में इतने गम की उनकी जिंदगी में खुशियों का दूर – दूर तक कोई नामोनिशान नहीं होता , ऐसा क्यों महादेव...?😔
अब आगे.................
🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸
ऑटो सिटी हॉस्पिटल के सामने जैसे ही रुकती हैं,,,,, वो लड़का तुरंत दौड़ कर अंदर जाता हैं.... अंदर कोई लड़का बेहोश पड़ा था.... उसके सर पर पट्टी बंधी हुई थी..... उसके पास ही दो लड़के और खडे हुए थे........
वो लड़का बोलता है क्या हुआ मयंक भईया को ..?
कैसे हुआ ये सब बताओ मुझे ऐसे चुप क्यों खडे हो तुम दोनो...?गुस्से में चिल्लाते हुए वो लड़का बोलता है......
मयंक – पहले तो तू शांत हो जा बताता हूं मैं सब....
वो लड़का – नहीं मुझे पहले बता ये सब कौन किया गुस्से में चिल्ला कर बोलता है।
नर्स शांत रहिए पेसेंट को डिस्टर्प हो रहा है।
वो लड़का अब थोड़ा नॉर्मल हो कर वहीं पड़ी चेयर को खींच कर बैठ जाता हैं।
थोडी देर ऐसी ही शांति से बैठा रहता है.......
थोडी देर बाद,,,,,,,,
फिर कुछ सोचते हुए गुस्से में हॉस्पिटल से निकल जाता हैं।
मयंक – आर्यन तू इधर ही रुक मैं आता हूं..... मयंक आर्यन को बोल कर उसके पिछे वो भी चला जाता है।
********************
इधर ग्रेसी घर पहुंच कर सीधा अपने रूम में जाती हैं....और फ्रेश हो कर अपने रूम में बैठी थी तभी , संध्या जी की आवाज उसके कानो में पड़ती हैं,,,, मिष्टी बेटा आजा नीचे चाय पी ले.....
और पीहू को भी बुला लाना..
ग्रेसी : जी मासी जी बस आ ही रही हूं।
पीहू ग्रेसी की मासी की बेटी जो कि ग्रेसी से दो साल बडी है..!
ग्रेसी के मासी के घर में कुल मिलाकर चार लोग रहते थे ग्रेसी को लेकर पांच लोग।
संध्या जी – ग्रेसी की मासी जी
विनोद जी – ग्रेसी के मौसा जी
पीहू – संध्या जी की बेटी
समीर– संध्या जी का बड़ा बेटा
ग्रेसी : पीहू के रूम में नॉक करते हुए आवाज देती है ,पीहू दी , चलिए मासी जी बुला रही है।
पीहू : ओके मिष्टु तू चल मै बस आ रही हूं।
ग्रेसी : ओके दी!
इतना बोल ग्रेसी नीचे आती हैं , दीजिए मासी जी मै करती हूं आप बैठिए......
संध्या जी : अच्छा बता तूने सुबह नाश्ता क्यूं नहीं किया था थोड़ा सख्त तरीके से........?
ग्रेसी : थोड़ा अटकते हुए बोलती है वो मासी जी वो...वो लेट हो रहा था कॉलेज के लिए...
तो जल्दी – जल्दी मे ऐसे ही चले गए थे।
वैसे हमने प्रीति के साथ छोले समोसे खा लिए थे और चाय तो बहुत सारी पी थी ऑफिस में मुस्कुरा कर ग्रेसी
बोलती हैं....😁
संध्या जी : हम्मम!
पता है.... सब कुछ छूट जाए पर तेरी चाय पीने की आदत कभी नहीं जाएगी।
एक तू और इक ये तेरी चाय दोनो ही मेरे समझ के बाहर हैं। संध्या जी ग्रेसी के गाल को छूते हुए मुस्कुरा कर बोलती है।😊
सीढ़ियों से पीहू उतरते हुए बोलती हैं,,,
बडी बाते साते चल रही है मां बेटी मे क्या बात है,,,,,,🙆🏻♀️
कहीं दोनो मां बेटी मिल कर मेरे खिलाफ कोई प्लानिंग , स्लानिंग तो नहीं कर रहे हो,,😳
पीहू की नौटंकी देख कर दोनो खिलखिला कर हंसने लगती हैं,,
संध्या जी : आजा बैठ पागल लडकी,,,🤦🏼♀️
पीहू : मुंह बना कर मम्मा मै और पागल लडकी,,,,😌
ऐसे ही बाते करते हुए तीनो चाय पीते हैं।
उसके बाद पीहू अपने रूम मे चली जाती हैं.... और संध्या जी और ग्रेसी दोनो मिल कर डिनर की तैयारी करने लगती हैं।
दोनो ने मिल कर थोडी देर में डिनर बना दिया था.... तब तक विनोद जी भी आ जाते है,,,
फिर सबने साथ मे डिनर किए ,,,
और सब अपने – अपने रूम में सोने चले गए.......
ग्रेसी,,,,, अपने मन में सोचते हुए कुछ भी हो झूठा ही सही , पर प्यार तो करते हैं,,,, अब तो यही मेरा परिवार है चाहे दिखावा ही करते हैं,,, पर अपना तो मानते हैं।
इक हमारे अपनो में दादा – दादी थे उन्होंने तो हमे मनहूस , तो न जाने क्या – क्या बोल कर जलील किया था.... और तो और अपने पास रखने से भी मना कर दिया था,,,,,,,,,, सिर्फ इसलिए की लड़की है,, लड़का होता तो रख लेते...... यही सब सोचते ही ग्रेसी की आंखे भर आती हैं,,,,, ग्रेसी अपने आप से ही बोलती है,, कोई बात नहीं मेरी जिंदगी में शायद यही लिखा है।
सोचते – सोचते ही
ग्रेसी किचन का काम निपटा लेती हैं और अपने रूम में आती हैं।
फिर प्रीति को कॉल लगाती है.......
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
क्रमश : जारी है..............✍🏻