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नोट :: इस कहानी का किसी भी व्यक्ति या स्थान से कोई संबंध नहीं है|||||
इस कहानी को किसी भी व्यक्ति या स्थान से ना जोड़े..........ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है.........!!!!!!
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महाराष्ट्र (मुंबई )
एक लडकी कमरे में बैठी बस रोए जा रही है.....
और अपनी डायरी में कुछ लिख भी रही होती हैं|
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आंखो मे लिए एक गहरा समंदर
दिल में कई राज दफन है
क्या कोई समझेगा मेरे इस दर्द को
लोगो के लिए तो सिर्फ एक सवाल है
पर मेरा पूरा जीवन ही
एक मात्र सवाल बन कर रह गया है
पूरा जीवन तरसी अपनो के
प्यार के लिए.......
इसका मुझे कोई गम नहीं
करके दफन अपने जख्मों को
निभाऊं अपने पूरे फर्ज
कष्ट उठाऊं चाहे जीतना
पर अपने किए वादे को
पूरा करने से मैं पीछे ना हटूंगी |❤️
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ये कविता ग्रेसी अपनी डायरी के पन्नों पर लिखती हैं उसकी आंखे भर जाती है , भरी आंखों से डायरी को वही रख बालकनी में आ कर वही पड़ी चेयर पर बैठ जाती हैं!
पता नहीं क्यों आज वह बहुत परेशान थी...
आंखे रुहासी जल मग्न थी खुद को बेहद अकेला महसूस कर रही थी।
जिंदगी ऐसे मोड़ पर थी कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या करें उसे कोई रास्ता नज़र नहीं आता दिख रहा था।
वहीं चेयर पर बैठी बस रोए जा रही थी..!
रोते – रोते वहीं चेयर पर बैठी हुई कब उसकी आंख लग गई उसे पता भी नहीं चला।।
उसकी आंख जब खुलती है सुबह के पांच बज रहे होते हैं......!
उठती हैं उसके सर मे बहुत दर्द हो रहा था ...
फिर कुछ सोचती है उसकी आंखे भर जाती हैं।
अपने आप को संभालते हुए......
अपने आप से ही बोलती है ग्रेसी तूझे कमजोर नहीं पड़ना है।
तूझे मां – पापा के सपने पूरे करने होंगे , तू ऐसे कमजोर नहीं पड़ सकती समझी तू.........
चल जल्दी से रेडी हो जा नही तो लेट हो जाएगी
उठ कर अपने कपड़े लिए और सीधा वाशरूम की ओर बढ़ जाती हैं।
दस मिनट मे तैयार हो कर निचे आती हैं..और सबके लिए नाश्ता बना दिया था और खुद नाश्ता किए बिना ही घर से निकल जाती हैं.!
आज फिर ग्रेसी बिना किसी से बोले चुप चाप अपने कॉलेज को निकल जाती हैं।
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क्रमशा : जारी है..............✍🏻