*पृथ्वी दिवस पर करणीय*
१- वृक्ष लगाकर उनका शृंगार करेंगे।
२-देशी गाय के गोबर से उनका भरण पोषण करेंगे।
३- उनके शरीर पर पालीथिन नाम का कलंक नहीं लगाएंगे।
४- उनका स्तनपान (जल का दोहन) न्यूनतम करेंगे।
५- उनकी सभी सन्तानों (जीव,जन्तु, वृक्ष, वनस्पति और औषधि आदि) के प्रति करुणा और कृतज्ञता का भाव रखेंगे।
*स्कन्दपुराण* में एक सुंदर श्लोक है 👇
*अश्वत्थमेकं पिचुमन्दमेकम्*
*न्यग्रोधमेकम् दश चिञ्चिणीकान्।*
*कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्च* *पञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।।*
*अश्वत्थः* = *पीपल* (100% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
*पिचुमन्दः* = *नीम* (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
*न्यग्रोधः* = *वटवृक्ष* (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
*चिञ्चिणी* = *इमली* (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
*कपित्थः* = *कविट/खैर* (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
*बिल्वः* = *बेल* (85% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
*आमलकः* = *आँवला* (74% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
*आम्रः* = *आम* (70% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
(उप्ति = पौधा लगाना)
जो कोई इन वृक्षों के पौधों का रोपण करेगा, उनकी देखभाल करेगा उसे नरक के दर्शन नहीं करने पड़ेंगे।
पीपल, बड़ और नीम जैसे वृक्ष रोपना बंद होने से सूखे की समस्या बढ़ रही है।
ये सारे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते है। साथ ही, धरती के तापमान को भी कम करते हैं।