जैसे....
रात के काले अंधेरे के बाद सूरज अपनी किरणें फैला कर
इस धरती को जगाता है...
जैसे....
एक इंतजार के बाद ये सावन काले बादलों की साए में बूंद बूंद बरस कर इस धरती की प्यास बुझाता है...
जैसे...
बारिश की बूंदों से भींगी मिट्टी की सौंधी महक से हर फूल कलियों के साथ मंद मंद मुस्काता है....
जैसे...
दिन ढलते ही खुले आसमान में टिमटिमाते तारों के साए में जुगुनू हर तरफ जगमगाता है....
वैसे ही...
तेरा होना, तेरा होकर रहने का पल पल एहसास कराता है...
मेरी इस बेरंग ज़िंदगी को इंद्रधनुषी रंगों से भर जाता है...
खुशी में झूमता ये मन मेरा हर पल यही धुन गुनगुनाता है...
" आए हो मेरी ज़िंदगी में तुम बहार बनके.." 😊