अब अगर मैं आपसे सवाल करू कि क्या आप कभी टयूशन गए है? तो आपका जबाव होगा कि हां मैं कक्षा 10 वी में था तब गया था, या कोई लोग कहेंगे कि मैं कक्षा 12 वी में तब भौतिकी के लिए टयूशन जाता था। एक बात तो पक्की है कि हम सब कभी न कभी, किसी न किसी कक्षा में टयूशन गए है। लेकिन आज के समय में एक नई प्रथा चल गई है वो है सरकारी नौकरी के लिए टयूशन जाना और मुझे वहीं मेरे पहले प्रेम का अनुभव हुआ।
मैं आपको अगर कम शब्दों में अपना प्रेम अनुभव बताऊं तो, मैं यही कहूंगा कि -
“बारिश आने से जो पेड़ हरे पत्तों से भर गया था,
उस पेड़ के सारे पत्ते, पतझड़ के मौसम में झड़ गए।”
शायद कई लोगों को समझ नहीं आया होगा तो उनके लिए कहानी संक्षेप में भी है।
मैंने कक्षा 12वी के बाद इंजीनियरिंग करने का फैसला किया और एक कॉलेज में प्रवेश भी करा लिया, लेकिन कुछ समस्याएं थी जो प्रवेश करते ही शुरू हो गई थी और वो समस्या इतनी बढ़ गई कि मुझे जनवरी 2019 में इंजीनियरिंग छोड़नी पड़ी।
मैं जब बाकी लोगों को देखता था कि वो कोई कोर्स अधूरा छोड़ के जा रहे हैं तो मैं उन से हमेशा कहता था कि “कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं होती कि उसकी वजह हमें अपने आप में बदलाव कर ले।” जब मैंने कॉलेज छोड़ा तो यही बात मुझे अंदर से खाए जा रही थी। मैं जनवरी से लेकर मार्च तक एक ही कमरे में रहा था, कभी कभी मरने का मन करता तो कभी घर से भाग जाने का मन करता था। लेकिन किसी तरह मैं इस बीच जीवित रहा।
कॉलेज छोड़ दिया था तो घर बैठा था तो घर वालों ने कहा कि अब इंजीनियरिंग छोड़ दी तो सरकारी नौकरी के लिए ही तैयारी कर लो। मैं 12 वी में तब भी रेलवे की एक परीक्षा दे चुका था जिसमें मेरे 53 अंक आए थे और कट ऑफ 65 अंक था। मैंने भी सोचा कि एक बार मेहनत करता हूं और सरकारी नौकरी लग जायेगी तो जिंदगी भर कुछ करने की जरूरत नहीं हैं। सरकारी नौकरी पाने के लिए परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दिया। मैंने 3 अप्रैल को एक ट्यूशन ज्वॉइन की। टयूशन ज्वॉइन करने के बाद कक्षाएं ठीक-ठाक चल रही थी लेकिन मुझे पढ़ने कोई रुचि नहीं आ रही थी क्योंकि टयूशन में सभी की उम्र मुझे से ज्यादा थी। लगभग 85 प्रतिशत विद्यार्थी अपनी ग्रेजुशन पूरी करके सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे और एक मैं था जिसने कुछ ही समय 12 वी की है और उसके एक साल बाद ट्यूशन ज्वॉइन कर ली।
अगर सच कहूं तो मेरा बिलकुल भी मन नहीं लग रहा था। मैं सोचने लगा था कि मैंने इतनी जल्दी टयूशन ज्वॉइन करके गलती की, मुझे अभी नहीं करना था, मैं यहां से भी भागने वाला था, लेकिन उसी समय मेरी बुआ के लड़के की शादी थी तो मैंने सोचा शादी में चलते है थोड़ा एंजॉय करेंगे फिर आके टयूशन देखते है। बुआ के लड़की शादी 12 अप्रैल को थी और मैं शादी में गया। परिवार के लोगों के साथ और अपने भाई बहन के साथ खूब मस्ती की और 13 अप्रैल को वापस घर आ गया।
15 अप्रैल में ट्यूशन गया तो कुछ नया नहीं लगा सब वैसे का वैसे ही था, दीदी भैया कह कहकर ट्यूशन का पूरा समय निकल जाता था और वो सब काफी समय से ट्यूशन में थे तो मेरे से ज्यादा होशियार थे तो खुद पर गुस्सा आता था कि मुझे कुछ नहीं आता है यह लोग कितना पड़ते है।
कुछ दिनों बाद मुझे उसी माहौल की आदत हो गई। मेरे लिए वह घर सा हो गया था। रविवार को भी जाने का मन करने लगा था।
अब आप सोच रहे होगे कि पक्का किसी लड़की से इश्क हो गया होगा तो आप गलत है जिससे इश्क हुआ वह तो अभी तक ट्यूशन में आई ही नहीं थी पर हां मुझे इश्क ट्यूशन के उस माहौल से जरूर हो गया था।
27 अप्रैल को एक लड़के ने ट्यूशन ज्वॉइन की जिसका नाम हरिओम था। (ये पूरी तरह सच्ची घटना है।) कुछ ही दिन में मेरी हरिओम से अच्छी दोस्ती हो गई क्योंकि उसने अभी 12 वी की परीक्षा दी थी और उसके बाद ही ट्यूशन ज्वॉइन की थी।
हरिओम के बाद 1 मई को एक चंदन नाम के लड़के ने ट्यूशन ज्वॉइन की, चंदन इंजीनियरिंग कर रहा था और उसी कॉलेज से जहां से मैंने इंजीनियरिंग छोड़ी थी, लेकिन पता नहीं क्यों फिर भी उसको सरकारी नौकरी परीक्षा के लिए तैयारी करनी थी। शुरुआत में वह मुझे पागल लगा क्योंकि मैं सोचता था कि अगर इसको सरकारी नौकरी ही करनी थी तो यह इंजीनियरिंग क्यों कर रहा है पर जब उसने अपनी कहानी बताई तो मुझे समझ आ गया था, और वह भी मेरा अच्छा दोस्त बन गया था।
2 मई को एक लड़की ने ट्यूशन ज्वॉइन की जिसका नाम तनिस्का (परिवर्तित नाम) था। यह फैंकने में बहुत आगे थी। ये इतनी लंबी लंबी फैकती थी कि कोई भी इंसान आसानी से समझ सकता था और जूठ तो ऐसे बोलती थी कि सुनके लगता था हजारों साल से बस जूठ बोलती आ रही है।
इसके आने के बाद हमारा समूह 4 लोगों का हो गया था और अब ट्यूशन में सब ठीक चल रहा था क्योंकि टयूशन में अब दोस्त बन गए थे, जो लगभग मेरी ही उम्र के थे।
13 मई को 2 और लड़कियों ने ट्यूशन ज्वॉइन की जिनमें एक ज्यादा सुंदर थी उसका नाम था मुस्कान (परिवर्तित नाम) और दूसरी भी सुंदर थी पर पहली वाली से थोड़ी कम मगर उसकी मुस्कान, मुस्कान से ज्यादा अच्छी थी और उसका नाम दीक्षा(परिवर्तन नाम) था। (मैंने काफी सोचा कि उसका असली नाम लिख दूं पर अंत में परिवर्तित नाम ही रखना सही लगा।)
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