### अध्याय 4: त्यौहारों की रौनक
**स्थान:** प्रयागराज की गलियाँ, आदित्य का किराए का घर, गंगा घाट
**समय:** कुछ दिन बाद
प्रयागराज में त्यौहारों का मौसम आ चुका था। हर गली, हर नुक्कड़ पर खुशियों का माहौल था। शहर में एक नया जोश और उमंग था, और इस माहौल में आदित्य और आलिया का प्रेम भी नए रंग भर रहा था।
**आदित्य का किराए का घर**
(आदित्य अपने कमरे में रंगोली बना रहा होता है।)
आदित्य: "आलिया, देखो! यह रंगोली कैसी लग रही है?"
आलिया: "बहुत सुंदर, आदित्य। तुम्हारे हाथों में सच में जादू है।"
आदित्य: "धन्यवाद! तुम भी आओ, इसमें कुछ रंग भरो।"
(आलिया भी रंगोली में रंग भरने लगती है। दोनों मिलकर रंगोली बनाते हैं और हंसते-खिलखिलाते हैं।)
आलिया: "आदित्य, मुझे यहां का दीपावली बहुत पसंद है। चारों ओर रोशनी और खुशियों का माहौल होता है।"
आदित्य: "हां, मुझे भी दीपावली बहुत पसंद है। और तुम्हारे साथ इसे मनाना तो और भी खास हो गया है।"
**गंगा घाट पर दीपदान**
(शाम को आदित्य और आलिया गंगा घाट पर दीपदान के लिए जाते हैं। वहां की रौनक देखते ही बनती है।)
आलिया: "आदित्य, यह सब कितना सुंदर है! गंगा की लहरों पर तैरते हुए दीपक बहुत मनमोहक लग रहे हैं।"
आदित्य: "हां, आलिया। यह नजारा सच में अद्वितीय है। और तुम्हारे साथ इसे देखना मेरे लिए किसी सपने जैसा है।"
(दोनों दीपक जलाते हैं और गंगा में प्रवाहित करते हैं। आदित्य आलिया का हाथ थामता है और दोनों एक-दूसरे की आंखों में देखते हैं।)
आलिया: "आदित्य, तुम्हारे साथ बिताए ये पल मेरे जीवन के सबसे खूबसूरत पल हैं।"
आदित्य: "मेरे लिए भी, आलिया। तुम्हारे बिना यह सब अधूरा है।"
**आदित्य का घर**
(रात को आदित्य और आलिया आदित्य के घर पर लौटते हैं। वहां दीयों की रौशनी में घर जगमगा रहा होता है।)
आलिया: "आदित्य, तुमने कितनी खूबसूरती से घर सजाया है।"
आदित्य: "यह सब तुम्हारे साथ के बिना संभव नहीं था, आलिया।"
(दोनों घर के आंगन में बैठते हैं और कुछ देर बातें करते हैं।)
आलिया: "आदित्य, क्या तुम्हें कभी डर लगता है कि हम दोनों के बीच यह सब समाज स्वीकार नहीं करेगा?"
आदित्य: "मुझे डर लगता है, लेकिन तुम्हारे साथ होने का साहस भी है। हम अपने प्यार को किसी भी बंधन में बांधने नहीं देंगे।"
आलिया: "तुम्हारी यही बात मुझे सबसे ज्यादा पसंद है, आदित्य। तुम हमेशा सच्चाई और साहस के साथ खड़े रहते हो।"
**गली का त्यौहार**
(अगले दिन गली में रंग-बिरंगी लाइटें और सजावट के साथ त्यौहार मनाया जा रहा होता है। आदित्य और आलिया भी इसमें शामिल होते हैं।)
आलिया: "आदित्य, यहां का माहौल कितना खुशनुमा है। हर कोई कितना खुश है।"
आदित्य: "हां, आलिया। यही तो हमारी भारतीय संस्कृति की खासियत है। त्यौहारों में सब एक हो जाते हैं।"
(दोनों मिठाई खाते हैं और बच्चों के साथ पटाखे जलाते हैं। आलिया के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ जाती है।)
आलिया: "आदित्य, मुझे ये सब बहुत पसंद है। मैं चाहती हूं कि हमारी ज़िंदगी भी इसी तरह खुशियों से भरी हो।"
आदित्य: "तुम्हारे साथ, आलिया, मेरी ज़िंदगी हमेशा खुशियों से भरी रहेगी।"
**बुर्का और हिजाब के प्रति आलिया के विचार**
(एक दिन, आलिया आदित्य के सामने अपने विचार व्यक्त करती है।)
आलिया: "आदित्य, क्या तुम्हें पता है कि मुझे बुर्का और हिजाब क्यों पसंद नहीं है?"
आदित्य: "नहीं, आलिया। बताओ, क्यों?"
आलिया: "मुझे लगता है कि ये सिर्फ पहनावे नहीं हैं, बल्कि हमारी आजादी पर पाबंदी हैं। मैं एक स्वतंत्र महिला हूं और मुझे अपनी आजादी से प्रेम है।"
आदित्य: "तुम्हारी बात सही है, आलिया। तुम्हें वही करना चाहिए जो तुम्हारे दिल को अच्छा लगे।"
आलिया: "धन्यवाद, आदित्य। तुम्हारा समर्थन मेरे लिए बहुत मायने रखता है।"
**प्रेम की नई ऊंचाइयां**
(त्यौहारों के इस मौसम में, आदित्य और आलिया का प्रेम और भी गहरा होता जाता है। उनके बीच की समझ और आत्मीयता बढ़ती जा रही है।)
आदित्य: "आलिया, मुझे यकीन नहीं होता कि हमने इतना सफर तय कर लिया है।"
आलिया: "मुझे भी नहीं, आदित्य। लेकिन तुम्हारे साथ यह सफर बहुत सुंदर है।"
(दोनों एक-दूसरे के साथ और भी समय बिताते हैं। उनके बीच का प्रेम अब एक अटूट बंधन में बदल चुका है।)
**एक शाम, गंगा घाट पर**
(दोनों गंगा घाट पर सूर्यास्त देख रहे होते हैं।)
आलिया: "आदित्य, यह सब कुछ कितनी जल्दी बदल गया है। हमें एक-दूसरे से मिले कुछ ही समय हुआ है, लेकिन ऐसा लगता है कि सदियों से एक-दूसरे को जानते हैं।"
आदित्य: "हां, आलिया। यह प्रेम की ही ताकत है।"
(दोनों एक-दूसरे का हाथ थामते हैं और एक-दूसरे की आंखों में देखते हैं। उनकी आंखों में एक नई चमक और दिल में एक नई उम्मीद होती है।)
**आलिया का सवाल**
आलिया: "आदित्य, क्या तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे? चाहे जो भी हो जाए?"
आदित्य: "हां, आलिया। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा। तुम्हारा साथ मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है।"
आलिया: "तुम्हारे बिना मैं भी अधूरी हूं, आदित्य।"
(दोनों एक-दूसरे को गले लगाते हैं और उनके बीच का बंधन और भी मजबूत हो जाता है।)
इस प्रकार, त्यौहारों की रौनक और गंगा घाट की शांति में आदित्य और आलिया का प्रेम अपने नए ऊंचाइयों को छूने लगता है। उनके बीच की यह प्रेम कहानी अब और भी गहरी होती जा रही है। देखते हैं कि यह प्रेम कहानी आगे क्या मोड़ लेती है।