- गाड़ी त्रिवेंद्रम स्टेशन छोड़ चुकी थी किन्तु मैं अभी तक प्रतीक्षा सूची में ही था. टीटी से बात करने पर उसने प्रतीक्षा करने के लिए कहा. प्रतीक्षा लम्बी होती जा रही थी.
- गाड़ी अपने मार्ग पर आगे बढ़ती जा रही थी ,स्टेशन निकलते जा रहे थे. शाम हुई और फिर अंधेरा घिरने लगा. यात्री खाना खाकर ,सोने की तैयारी में जुट गये. तभी टीटी आया और मुझे वहीं बैठे देखकर बोला कि किसी और डिब्बे में कोशिश कर लो , नहीं तो मैं तुम्हें अगले स्टेशन पर उतार दूंगा. खतरे की घंटी मुझे स्पष्ट सुनाई पड़ने लगी थी.
- मैं ने सच्चे दिल से ऊपर वाले से प्रार्थना की , हे भगवान मेरी सहायता करो , मैं इतनी रात में अनजान स्टेशन पर क्या करुंगा ? मुझे रास्ता दिखाईये ,मेरी रक्षा कीजिये.
- अब तक रात घिर चुकी थी ,यात्रीगण सोने की तैयारी कर रहे थे , मुख्य लाइट बंद हो चुकी थी.डिब्बे में पूर्ण तया शान्ति थी.तभी अंधेरे में एक आवाज़ गूंजी."बैंगलोर जाना है" मैं घबराहट में बोला "हाँ " ."सामान उठाओ, आगे बढ़ो " . जैसा बोला जा रहा था ,मैं अक्षरसः उसका पालन कर रहा था."बायें ऊपर की बर्थ खाली है,उसपर जाकर चुपचाप लेट जाओ और सो जाओ."
- जैसा बोला गया था , मैंने वैसा ही किया.सुबह नींद खुली ,तो पता चला ,गाड़ी बैंगलोर सिटी स्टेशन पर खड़ी थी. डिब्बा पूरा खाली था. मैं नहीं जानता वह कौन सी शक्ति थी जिसने मुझे बर्थ दिलाई थी. मैं हृदय से उसका आभारी हूँ. उस ऊपर वाले की एक जयकार तो बनती है.