आज मेरा मनमीत उदास था,
आकर बोला ,मुझे नहीं जाना,
मैं तुम्हारे बिना, नहीं रह सकता,
मुझे नहीं पढ़ना ,मैं नौकरी करूंगा,
और तुम्हारे पास रहूंगा.
मैं हंस दी ,पागल हो क्या ?
जाओ खूब पढ़ो ,
अपना ,देश का नाम रोशन करो ,
मन तो चंचल है ,
वहाँ भी कोई मिल जायेगी,
तेरी मनमीत बन जायेगी.
मुझे भी जल्द ही,
कोई मीत मिल जायेगा,
उसे प्यार देकर ,
प्यार कर,
अपना मनमीत बना लूंगी.