पहले जानते है हुआ क्या: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रविवार को सिल्क्यारा से डांडालगांव तक यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा गिरने से लगभग 40 मजदूर फंसे होने का खतरा है।
सड़क, परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने रविवार को कहा कि सरकार ने 12 नवंबर से उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में फंसे कामगारों को बचाने के लिए पांच विकल्पों की कार्रवाई योजना बनाई है।
सिल्कियारा सुरंग में सफल बचाव प्रयास: 41 फंसे व्यक्तियों के लिए आशा की किरण: टनल में पिछले नौ दिनों से जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे 41 लोगों की जान बचाने की उम्मीद जागी है। सिलक्यारा सुरंग में ड्रिलिंग करने वाली बचाव टीम को सफलता मिली है। रेस्क्यू टीम की मेहनत से टनल के अंदर छह इंच की पाइप लाइन आई है। टनल के अंदर फंसे लोगों तक अब पर्याप्त ऑक्सीजन, खाद्य सामग्री आसानी से पहुंच पाएगी। बीती रात 12 बजे से जारी ड्रिलिंग के बाद आज शाम साढ़े तीन बजे के करीब छह इंच के पाइप का दूसरा सिरा मलबे के पार मजदूरों के पास पहुंच गया है। इसके साथ ही ऑगर मशीन के जरिए टनल के भीतर एस्केप पाइप टनल बनाने की उम्मीद और भी ज्यादा मजबूत हो गई।
आज देर रात से ऑगर मशीन को शुरू करने की तैयारी है। दो रोज पहले रेस्क्यू टीम ने मलबे के भीतर छह इंच का पाइप लाइन बनाने का काम शुरू किया था। 40 मीटर तक मलबे में ड्रिल होने के बाद पाइप ने आगे बढ़ना बंद कर दिया था। एक सख्त वस्तु के बीच में आ जाने की वजह से पाइप की दिशा बदल गई थी।
मजदूरों को सहायता दी गयी: सुरंग के अंदर छह इंच की पाइप लाइन बनने से भीतर फंसे लोगों को अच्छा खाना और अधिक आक्सीजन भी मिलेगा। अब तक, कर्मचारियों को चार इंच के पाइप से संपर्क किया जाता था।आक्सीजन, सूखे मेवे, आदि इससे भेजे जाते थे। छह इंच की नई पाइप से सब्जी, दाल, चावल और रोटी भी भेजे जा सकेंगे।
9 दिनों के प्रयास के बाद मिली बड़ी सफलता:
एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशू मनीष खलखो ने कहा कि हमने अपनी पहली सफलता हासिल कर ली है जिसके लिए हम पिछले 9 दिनों से प्रयास कर रहे थे. हमारे लिए यह पहली प्राथमिकता थी. 6 इंच के लगाए गए इस पाइप से वे (फंसे हुए श्रमिक) हमें सुन सकते हैं. इस पाइप के जरिये भोजन और चिकित्सा संबंधी चीजों की आपूर्ति कर सकेंगे. कार्यक्रम के दौरान, हमने आवश्यक संसाधनों को प्राप्त करने के लिए सफलतापूर्वक सहायता प्राप्त की है। इससे हमारे प्रयासों का परिणाम साबित होता है कि हम अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए सक्षम हैं।
सरकारी ऑफिशल्स ने यह भी बताया कि बीआरओ जहां भी आवश्यक हो रहा है, सड़क बनाने का काम कर रहा है और भारी भरकम मशीनों को एयरल िफ्ट करना कठिन है। हम मशीनरी का इंतजार कर रहे हैं, सड़कें दोनों तरफ तैयार हैं। मशीने इतनी भारी भरकम हैं कि उन्हें हवाई यात्रा नहीं करनी चाहिए। केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजना की सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे 41 कर्मचारियों की जान अभी भी सुरक्षित नहीं है।
अंततः यही प्राथना और कोशिश है की जल्द से जल्द सभी मजदूर सुरक्षित बाहर निकल जाये.