*सौंदर्य की देवी और हेयर डिजाइनर देवता*
*आयुष पवन*
जावेद हबीब हेयर स्टाइलिस्ट ने एक कार्यशाला में पूजा गुप्ता नामक महिला के बाल काटते हुए उसकी बाल ऊपर थूक दिया और यह कह कर जायज ठहराया कि पानी उपलब्ध ना हो तो थूक से काम चलाते हुए बाल काटे जा सकते हैं । जावेद की देश भर में 115 शहरों में 850 से अधिक सैलून व 65 हेयर कटिंग अकादमी है । बताया जाता हैं कि वही जावेद है जो कभी भाजपा में शामिल हुआ था ताकि सत्ताधारी पार्टी में से लाभ उठा सकें पर बाद में इन्हें निकाल दिया गया था।
उत्तर प्रदेश के मशहूर हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब नाम से मशहूर हैं पर यह उन लोगों के लिए भी सबक है जो उसकी सैलून में जाकर बाल कटवाना शान समझती हैं । कहा जाता है कि नाम और पैसे की खुमारी दिमाग में जब चढ़ती है तो इंसान को लगता है उसकी उल्लू जलूल
हरकतें भी लोगों को पसंद आने लगेगी। पार्लर में पानी ना हो तो कंघी करते समय बालों में थूक से काम चलाया जा सकता है। सोचिए हिंदुस्तान ऐसे देश में पानी की कमी तो नहीं है फिर मोटी रकम लेने वाले सैलून में पानी की कमी हास्यास्पद ही है। देश में विवादस्पद ब्यान देकर चमकने का सिलसिला चल पड़ा है , इसपर रोक लगनी ही चहिए। गांव के नाई/हजाम को नजरंदाज कर सुसज्जित कमरे में खूबसूरत बनने की दुकान फल फुल रहा है। किसी वर्ग का कार्य व्यक्ति द्वारा करना कला होता है पर कला जब काला सच हो तब सोचनीय हो जाती हैं।
एक सर्वे के मुताबिक, भारत में पॉर्लर का काम सोलह_सत्रह प्रतिशत की दर से साल में बढ़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि ब्यूटीशियन की संख्या के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है और यहां के सैकड़ों ब्यूटीशियन विदेशों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यही नहीं, भारत के प्रशिक्षित ब्यूटीशियन्स की मांग भी दुनिया भर में बहुत है। आंकड़े यह भी बताते हैं कि जो लोग इस क्षेत्र में नौकरी करते हैं, उनमें से अधिकतर एक या दो साल में अपना काम स्थापित कर लेते हैं, यानी इस क्षेत्र में नौकरी करने की अपेक्षा लोग स्वरोजगार करना पसंद करते हैं। ब्यूटीशियन बनने के लिए प्रशिक्षण से लेकर अच्छी रुचि और अपने को अपडेट रखने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सजाने-संवारने का जितना अनुभव होगा, उसका काम और नाम भी उतना ही होगा।अब नाम कमा लेने के बाद राजनीति शोहरत हासिल करने में भी पार्लर संस्था लगी है। एक ब्यूटीशियन का काम यूं तो ग्राहकों के हिसाब से उनके चेहरे को खूबसूरत लुक देना होता है, लेकिन चेहरे को खूबसूरत बनाने के पीछे जो प्रक्रियाएं, यानी काम किए जाते हैं, उन्हें अनेक नाम दिए गए हैं। इन कामों में खासतौर पर थ्रेडिंग, ब्लीच, अनेक तरह के फेशियल, फेस पैक, हेड मसाज, बॉडी मसाज, हेयर स्टाइल, कलर व कटिंग आदि, रोलर सेटिंग, आई ब्रो, शैम्पू, मेंहदी, अनेक तरह का मेकअप, नेल केयर और इसी तरह के काम किए जाते हैं। सौन्दर्य की देवी की चाहत में थूक तो एक सामायिक मुद्दा बन गया है। आखिर क्यों नाई/हजाम जाति बना है , अनुष्ठान से लेकर शुभ मुहूर्त में इनकी मांग रही हैं पर बाजारवादी संस्कृति ने नया रूप दिया हैं। ऐसे में कुछ कहानी गढ़ी जाएगी तो कुछ अप्रिय घटना भी घटेगी। विभिन्न प्रकार की क्रीमें के लेप मे देवियों की गुस्ताखी झलकेगी ही श्रृंगार कर्ता के कारनामें आए दिन देखने सुनने को मिलता रहेगा। पाउडर, आई ब्रो लाइनर, ब्लीच, वैक्स पेस्ट, स्टीमर, कर्लिग रॉड, ड्रायर, धागा, कैंचियां, कंघे, दीवारों के लिए शीशे, कुर्सियां, फेशियल बेड, फेशियल ट्रॉली, हॉट एंड कोल्ड कैल्वनिक आदि की खर्च तो आपके पर्स से ही लेगा। चकाचौंध दुनिया में खलबली मचते रहेगी राजनीति के ठेकेदार भी राजनीति करते रहेंगे। हुनर सीखने के लिए यूं तो उम्र का बंधन नहीं होता यही परंपरा अब सजने संवरने में आ गई है । मेकअप में व्याख्यान सोसल मीडिया से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक देखा जा सकता है।
*आयुष पवन*
स्वतंत्र लेखक_विचारक, पटना।