✍️आयुष पवन,पटना
जी हां ! इन दिनों अनेक क्षेत्रों में अपनी संख्या बढ़ाने के लिए मोबाइल क्रांति का युद्ध में सभी ने अपना सहारा ले लिया जा रहा है और यह क्रांति कभी-कभी मजाक भी दिखती है...
परंपरागत मीडिया जैसे प्रिंट अखबार / पत्रिका में पाठक दृष्टि से लगातार गिरावट आती जा रही है पर ग्राहक दृष्टि से नहीं... हर पत्र-पत्रिका अपने ग्राहकों की संख्या अलग अलग अंदाज से बता रही हैं...
दूसरी ओर चलें तो इंटरनेट जैसा माध्यम तेजी से आगे बढ़ रहा है इसलिए लोग अब अखबार या पत्रिका शुरू करने की बजाय न्यूज़ वेबसाइट शुरू कर दी है खासकर राजनैतिक पार्टी... और इसी वजह यानी वेबसाइट के कारण आज सरकार की "खूबियां और खामियां " दोनों लोग जान रहे हैं ...
कभी-कभी तो लोग इसे मजाक में लेना शुरू कर देते हैं पर यह सच है न्यूज वेबसाइट पर उपलब्ध है तो पूरे विश्व में कहीं से भी देखा जा सकता है... पर सच कड़वा होता है हर लेखक अपने ढंग से लिखते हैं...
न्यूज़ वेबसाइट का जमाना में आप भी आनंद लें... पर प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता बरकरार रहेगी क्योंकि इसके पीछे कई कारण है जिनमें लोगों को शिक्षित होना सबसे बड़ा कारण है साथ ही सत्यता का होना... लोग आज भी सत्यता के लिए अखबार ढूंढते हैं...@आयुष पवन
आया मिस कॉल का जमाना