- सादर नमन 🙏
- वेदनाओ की कसौटी पर जब यह मन बिखरता है
- निखर के आती हूं रोज मै !
- सच
- ही तो है दर्द से मन सवंरता है!
- है तल्ख़ियों का अपना मजा
- जख्म हर रोज एक नए जख्म सिलता है!
- जिक्र होगा जब भी महफिलों में कभी
- शायरी बनकर ठहर जाऊंगी!
- दाद होगी उनकी
- और दर्द बन मुस्कुराउगी!
- स्वरचित वंदना कसेरा ✍️