2 अक्टूबर 2022
खुशियां,बरकतें ,नेमते बरसती हैं मेरा घर छोड़ कर
खुदा जाने इनका रिमोट किस नाखुदा के हाथ में हैं
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बेबस हैं #मायूस नहीं पीड़ित मुल्क में ये दौर भी करवट बदलेगा इक दिन #इंटरव्यू के लिए मुंह फेर रहे हैं तरसेंगे इक दिन #गुफ्तगू के लिएतरसेंगे इक दिन #गुफ्तगू के लिए
मोदी भापे तुम जमाने के हो सिवा हमारे , वक्त बदलेगा तुम्हारा नजरिया भी
#पंडित दीन दयाल उपाध्याय जयंती पर भी दयाल नहीं समर्थ #पितृविसर्जन #अमावस्या पर अभागे अतृप्त लौटने को विवश 😢😢 Not merciful even on Pandit Deen Dayal Upadhyay Jayanti Unfortunate compelled to ret
विभाजन
आज फिर हुकुमत से फ़रियाद का जवाब आया है नासूरों को फिर से खोलना होगा, फ़रमाया गया है Today again the answer to the Grievance has come from the Government. Cankers need to be reopened, Shown said
कंक्रीट के जंगलों में पत्थरों के बुत तुम्हे मुबारक पीड़ित इन्साफ को तरसा तो फिर विकास क्या है Blessings of stones in the concrete jungle If the victim craves justice, then what is development? ਕੰਕ
😢😢 "शिक़वा ए गम सुनता नहीं कोई ,क़िस्सा ए गम दिल पर काबिज हैं हम तुम्हे वोट देते हैं जरूर लेकिन ये मत समझना कि सब चंगा सी" 😢😢 No one listens to Sorrows , Qissa-e-gum occupies the heart
ना जाने किस जहां की #हवाओं ने कब्जा कर लिया #अँधेरा बरपा हर तरफ ,एक #चिराग रौशन होता नहीं
खुशियां,बरकतें ,नेमते बरसती हैं मेरा घर छोड़ कर खुदा जाने इनका रिमोट किस नाखुदा के हाथ में हैं
#मोदीभापे भ्रष्टाचार रहा शीश उठाए दम्भी चहुँ और साम्राज्य जमाए लाल सुर्ख आँखों से डराए अग्नि बाण कहाँ रख छोड़ा अंतिम घड़ी व्याकुल मन मोरा
या मोदी सर्वभूतेषु सत्ता रूपेण संस्थिता थोड़ा दे,सूक्ष्म दे,कुछ तो दे भारत विधाता