*श्री राम का विवाह और राज्याभिषेक, दोनों शुभ मुहूर्त देख कर किए गए थे; फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ, न ही राज्याभिषेक*
और जब मुनि वशिष्ठ से इसका उत्तर मांगा गया, तो उन्होंने स्पष्ट कह दिया -
*सुनहु भरत भावी प्रबल,*
*बिलखि कहेहूं मुनिनाथ!*
*हानि लाभ, जीवन मरण,*
*यश अपयश विधि हाथ!!*
*अर्थात - जो विधि ने निर्धारित किया है, वही होकर रहेगा*!
न राम के जीवन को बदला जा सका, न कृष्ण के!
न ही महादेव शिव जी सती की मृत्यु को टाल सके, जबकि महामृत्युंजय मंत्र उन्हीं का आवाहन करता है!
*मानव अपने जन्म के साथ ही जीवन, मरण, यश, अपयश, लाभ, हानि, स्वास्थ्य, बीमारी, देह, रंग, परिवार, समाज, देश-स्थान सब पहले से ही निर्धारित करके आता है!*
*इस लिए सरल रहें, सहज, मन, वचन और कर्म से सद्कर्म में लीन रहें..!!*
सदैव जपें एवं ख़ुश रहें-
*"हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे|*
*हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे॥"*
हरे कृष्ण! सुप्रभातं!!🙏🙏