ऊंचाइयां छूना चाहता है हर इंसान
ऊँचाइयाँ जीवन की है असली पहचान।
ख्वाब तो अनगिनत होते हैं दुनिया के बाजार में
मगर हौंसलें ताकत की नहीं होती हर किसी में।
सपनों के बाजार में हर पल ख्यालों में
एक नए सपने हर रोज जन्म लेते हैं ।
मगर दफन हो जाते हैं, मिल जाते हैं वे मिट्टी में
उनका नहीं है कोई जिंदगी के आसमां में उड़ान।
नहीं है कोई इस दुनिया से जान-पहचान
वो दुनिया में हर किसी से है अनजान।
और दुनिया में है वह हर किसी
के लिए इक सिर्फ अजनबी है ।
अनगिनत सांसे जन्म लेती हैं दुनिया के मेले में
मगर सब एक दिन मिल जाते हैं शमशान के मिट्टी में मिल राख का ढेर बन जाते हैं।
नहीं रखता उन्हें याद कोई, जो जन्मते और मर जाते हैं
जिऐं देश के लिए, इंसानियत के लिए सिर्फ
सफलता के लिए नहीं।
कामयाबी का सेहरा बांध जो परचम लहराते हैं
दुनिया के शूरवीर ऊंचाइयां के असली विजेता वही कहलाते हैं।।
धन्यवाद🙏🏼🙏🏼