यह पुस्तक मेरी भूली-बिसरी यादों के पिटारे के रूप में प्रस्तुत है। मैंने इस पुस्तक में अपने दैनन्दिनी जीवन के हर पहलू के जिए हुए खट्टे-मीठे पलों को उसी रूप में पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास किया है। मेरी इस पुस्तक के लगभग सभी संस्मरण देश-प्रदेश के विभिन्न प्रतिष्ठित समाचारों पत्रों में प्रकाशित होते रहे, जिससे मुझे निरंतर लिखने के लिए उत्साह और ऊर्जा मिलती रही। इन संस्मरण को रचाते-बसाते हु
वैरी ग्रेट