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Zafar Anwar की डायरी

Zafar Anwar

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zafar anwar ki diary

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पुस्तक के भाग

1

ज़िन्दगी

10 जुलाई 2018
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यह ज़िन्दगी जो भँवर जाल है ,यह ज़िन्दगी ही मृत्यु काल है।समय रथ पर जो तू है सवार ,यह सारी समय की ही चाल है।घिरी अन्धकार में तेरी वीरता ,तेरी निष्ठा ही एक मशाल है ।वो अनजानी सी राह पर निकले ,सारी दुनिया का बस यही हाल है ।लकीरों वाली तेरी किस्मत ,तेरे कर्मों का ही परिणाम है ।उम्मीद सुखी रूखी सी ही सही

2

नारी शक्ति

11 जुलाई 2018
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तू जग की आधी सृजन है,मानवता तेरा आभारी।तू खुद में सम्पूर्ण ज्वाला ज्योति है,कदमों में तेरे जग सारी।।वक़्त आती तलवार खींचती,जंगों में तेरी हाहाकारी।ज़रूरत में तू भूमि सींचती,ले कर हाथों में हल आरी।।तू आत्मबल की स्रोत है,ले उसको चन्द्रमा तक जाए।मनोबल तो तेरा घोर प्रबल है,पर्वत को निचा दिखलाये।।ह्रदय में

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