नारी शक्ति
तू जग की आधी सृजन है,मानवता तेरा आभारी।तू खुद में सम्पूर्ण ज्वाला ज्योति है,कदमों में तेरे जग सारी।।वक़्त आती तलवार खींचती,जंगों में तेरी हाहाकारी।ज़रूरत में तू भूमि सींचती,ले कर हाथों में हल आरी।।तू आत्मबल की स्रोत है,ले उसको चन्द्रमा तक जाए।मनोबल तो तेरा घोर प्रबल है,पर्वत को निचा दिखलाये।।ह्रदय में