पानी...अब न खोदो कुआँ न गाड़ों हैंड पम्प, न लो नाम समरसेबल का।नदी, नहर, सागर हो रहे प्रदूषित न नाम लो तालाबो का।बहने दो पानी को पाईप लाइनों मे, न नाम लो टैंकरो का। छत मे रखी टंकियाँ हो रही हैं बदरंग, न नाम लो आरो का।दूध से महंगा बिक रहा हैं, बंद बोतलों मे बिसलेरी का पानी।सरकार प्लांट लगवाए यह कहकर कि