आज यह कलम, बेपरवाह होकर बोलेगी। कुछ अल्फाज कहेगी, कुछ राज खोलेगी।।
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बहुत सुन्दर
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लो आ गया चुनावी मौसम, होने लगा प्रचार। अकड़ के जो चलते थे उनका, हुआ आज नम्र व्यवहार। हाथ जोड़ें, शीश झुकाएँ, और कभी पैरों में गिर जाएँ। कौन से गोला से आए हैं? वोटर द