आज कुछ लिखने को मन हुआ तो सोचा कि बेटी के बारे में कुछ लिखूं। किसी के घर जब बेटा पैदा होता है तो खुशी मनाई जाती है और जब बेटी होती है तो कहीं कुछ अधूरा लगता है। सब एक जैसे नहीं होते फिर भी लड़की होने पर खुश होने वाले बहुत कम हैं। अपने माता पिता के घर से ही उसके साथ सोतेला बर्ताब शुरू हो जाता है। बेटी को सब काम आने चाहिए क्योंकि उसको दूसरे घर जाना है और आपकी नजर में बेटे को क्या आना चाहिए? बेटी को सुनना ही है । तेरा घर ससुराल में है और ससुराल में सब उसको पराया मानते हैं और यही ताना देते हैं कि पराए घर से आई है और बेटी सारी उम्र यही इम्तहान देने में लगी रहती है कि उसे मायके और ससुराल दोनों कि फिक्र है। उसकी फिक्र किसे है? मायके और ससुराल के रिश्ते निभाते कोई उसे भी तो बताए कि उसका घर किधर है?एक बेटी कब तक सब झेलेगी?