"लंगोटिया यार"देश विदेश, न जाने मेरे लंगोटिया यार (आज के दौर में कहें तो डायपरिया यार) मित्र हीरालाल यादव जी, अपनी बिना सीट वाली सायकल से लगभग बीस वर्षों से यात्रा कर रहें हैं। परिचय के मोहताज नहीं हैं क्यों कि धूनी प्रवृत्ति और परोपकारी मन कहीं छुप के तो बैठता नहीं,लोगों