31 जुलाई 2017
"वेगवती छंद"नभ झूम उठे तिन देखोबेबस डाल झुके उन देखो।बह वेग चले वन देखोहै तपती अवनी सुधि लेखो।।सुन साजन बाहर आओहै पुरबी पवना दुलराओ।अपने नयना बहलाओना तुम नाहक जी तड़फाओ।।महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी