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मैं तेरी संगिनी

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नोट: कहानी उस समय पर आधारित है जब सती प्रथा प्रचलित थी।एक छोटे से गांव में एक हृदयविदारक दृश्य उभर रहा था। सात साल की छोटी सी बच्ची, जिसके सिर से बाल हटाकर उसे विधवा घोषित कर दिया गया था,समाज के ठेकेद

मैं तेरी संगिनी,छाया बन साथ चलूँ,तेरे हर दर्द को अपने आँचल में लेलूँ।तेरी खुशियों में खिल सुमन बन जाऊँ  तेरी हर तन्हाई में लता वितान बनाऊँ।राहों के दुख कंटकों से मैं दूर ले जाऊँ मैं बन

मेरी रुह में तू है अब बसा हुआ मेरी आंखों में तू है समाया हुआतुझे देख देख मैं जिया करूंतेरे साथ ही बस मैं रहा करुं!तेरी आंखें हों मेरा आईनाउसी में देख देख मैं सजा करुं!मुझे यक़ीन   तुझ पे इस

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