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सपनों का संसार

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गांव के एक छोटे से घर में, सुनीता अपनी यादों के सहारे ज़िन्दगी गुजार रही थी। उसका एकलौता सहारा, उसका बेटा रोहित, एक हादसे में उससे हमेशा के लिए दूर हो गया था। हर दिन का एक-एक पल जैसे उसे उन पुरानी याद

चमकते तारों सा निखरता,दिली हर ख्वाब बिखरता।रात की चादर में सिमटता,हर सपना नये सफर रचता।दूर कहीं से आती है पुकार,गगन के पार एक है संसार।जहाँ उम्मीदों का है बसेरा,हर ख्वाहिश का है वे डेरा।आंखों में नम

चमकते तारों सा निखरता,दिली हर ख्वाब बिखरता।रात की चादर में सिमटता,हर सपना नये सफर रचता।दूर कहीं से आती है पुकार,गगन के पार एक है संसार।जहाँ उम्मीदों का है बसेरा,हर ख्वाहिश का है वे डेरा।आंखों में नम

पात्र मुख्य पात्र= राजू दूसरी पात्र = राजू कि पत्नी रीमा तीसरा पात्र = राजू का दोस्त विश्वास चौथा पात्र = राजू के दोस्त कि बीवी स्नेहा कहानी कि शुरुआत राजू के घर से होती है, र

कश्मकश में जी रही थी न खुशी थी न रो रही थी यूँ समझ लो कि बंदिशों में जी रही थी मेरा भी हसीन सपना थागैर नहीं वो मेरे दिल में बसा अपना थाकद्र उनको मेरी न थीवो बेफिक्र से लगते थे

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