19 मार्च 2018
“कता”तुझे छोड़ न जाऊँ री सैयां न कर लफड़ा डोली में। क्या रखा है इस झोली में जो नहीं तेरी ठिठोली में। आज के दिन तूँ रोक ले आँसू नैन छुपा ले नैनों से- दिल ही दिल की भाषा जाने क्या रखा है बोली में ॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी