मापनी - २१२२ २१२२ २१२२ २१२२“मुक्तक ”जब प्रत्यक्ष हम हुये तो जान पाये तुम घिरे थे। बाढ़ में बहने लगे तुम मय लिए हम भी फिरे थे। रुख डुबाने लग पड़ी थी जब तुम्हें मंझार घेरे- उठ न पाते तुम कभी भी जिस जगह जाकर गिरे थे॥-१ पर परोक्ष हो गए जब तुम किनारे खो गए थे। उस समय सोचा नहीं क