ट्रैफिक के नए नियम आ गए हैं. तरह-तरह के फाइन बढ़ा दिए हैं. बहुत पॉसिबल है कि आप घर से तैयार होकर अपनी स्कूटर पर निकलें. किसी चौराहे पर पहुंचें और ट्रैफिक पुलिस आपको धर ले. जब वो आपको छोड़े तो आपके हाथ में चालान हो. उसमें इतने तरीके के फाइन आप पर लगे हों कि चुकाने के लिए लोन लेना पड़ जाए. 15 हजार की गाड़ी पर 23 हजार का जुर्माना वाली खबर अब तक सुनी कि नहीं? तो इसलिए हम बता रहें हैं कुछ रामबाण उपाय जिन्हें आज़माकर आप फाइन देने से बच जाएंगे.
1. ट्रैफिक के सारे नियमों का पालन करके-
पर एक सेकेंड, ये करना तो आपके लिए दुनिया का सबसे बड़ा काम हो जाएगा. आप कपार फोड़वा लेंगे. इनसेट में मृतक की फोटो बन जाएंगे. चालान कटवा लेंगे. गाड़ी जब्त करा लेंगे लेकिन नियमों का पालन कर लिया तो आपकी नामूज़ी हो जाएगी.
2. धर्मो रक्षति राइडर:
धर्म का सहारा लीजिए. जैसे ही कोई त्योहार पास आए. हफ्ते भर पहले से बाइक पर सुविधानुसार किसी धर्म का, किसी भी कलर का झंडा लगाइए. निकल पड़िए. जोर-जोर से धार्मिक नारे लगाइए. झंडे लहराइए. मजाल कोई रोक दे, रोके तो कहिए, हमारे अलाना धर्म के वीरबहादुरों को रोकते हो, फलाने धर्म के ढिकाने जब ऐसा ही करते हैं तो नहीं रोकते. इस कुतर्क का कोई इलाज नहीं है.
3. विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, चालान काट कर दिखाओ हमारा
जनवरी के महीने में या अगस्त के महीने में अपने अंदर की देशभक्ति जगाइए. एक डंडे के साथ तिरंगा गाड़ी पर लगाइए. सहूलियत के हिसाब से जय हिंद, भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारे लगाइए. किसी भी मोटर व्हीकल एक्ट में इतनी हिम्मत नहीं कि आभासी देशभक्त की गाड़ी रोक ले. तिरंगे का सहारा लेकर इसी देश के क़ानून तोड़िए. रोकने वाले को देशद्रोही ठहरा दीजिए.
4. नेता की रैली, बचाएगी जुर्माने की थैली
समय-समय पर नेता-नपाड़ी रैलियां निकालते हैं. इन रैलियों में जुलूस निकलते हैं. माथे पर नेता जी का या पार्टी का पट्टा बांधकर निकल पड़िए. ट्रैफिक नियमों की ऐसी-तैसी कर डालिए. सड़क पर सुगम आवागमन की नैया डुबा दीजिए. दूसरे राहगीरों की गाड़ी और सुविधा खरखोंद डालिए. कोई फोटो खींच रहा हो तो खींचने दीजिए. आप पर नियम तोड़ने का इलज़ाम नहीं लगेगा. उल्टे अगले दिन अखबार में फोटो आएगी. ‘उत्साहित युवाओं ने बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा’ वाले कैप्शन के साथ.
5. विधायक चाचा से अपनी करीबी मत बताइए.
कुछ मासूम लोगों को लगता है कि ‘मोटर साइकल में चाचा विधायक हैं हमारे’ लिखवाकर जुर्माने से बच जाएंगे. मूर्ख हैं वो. उन्हें समझाइए आजकल विधायकों के भतीजे फॉर्च्यूनर से नीचे नहीं चलते. विधायक को चाचा बताएंगे और बाइक से चलेंगे तो दुगना चालान देना पड़ सकता है.
6. निरोध का विरोध और Condom का Condemn न करें.
नाबालिग अगर वाहन चलाते पकड़े जाते हैं तो नियम तोड़ने पर 25 हज़ार का चालान कटता है. आपके बच्चे से मेरा कोई दुराव नहीं है लेकिन अगर बच्चे में ट्रैफिक सेन्स नहीं है, तो यकीन मानिए 25 हज़ार में ऐसे कई बच्चे पल सकते हैं. आपसे भी मेरा दुराव नहीं है, लेकिन अगर आप अपने नाबालिग बच्चे को गाड़ी चलाने से नहीं रोक सकते, उसकी जान से खेल रहे हैं. बैड पैरेंटिंग का उदाहरण बन रहे हैं, या बन सकते हैं. तो बेहतर यही होगा कि कंडोम का इस्तेमाल करें. देश की जनसंख्या और चालान पर खर्चा बढ़ने से एक साथ रोकें.
7. ढनगउआ खेलें
ये बहुत पुराना फ़ॉर्मूला है, मौक़ा पड़ने पर बड़ा प्रभावी है. कई बार अप्रभावी भी हो जाता है. लेकिन लंबे समय से इस्तेमाल किया जा रहा है. जब भी चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस वाला खड़ा नज़र आए. बाइक से उतर जाएं. उसे लुढ़काते हुए ले जाएं. कोई पूछे तो कह दें तो सर्विस सेंटर ले जा रहे हैं. गाड़ी बिगड़ गई है. ऐसा ही कार के साथ भी करें, मौके पर गाड़ी से उतर जाएं. कांच के अंदर हाथ डालकर घिसटाते हुए ले जाएं. याद रखें, गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने पर चालान होता है. खराब गाड़ी पर नहीं.
8. ट्रैफिक पुलिस पकड़े तो पुलिस का सहारा लें
सावधानी के तौर पर साथ में पर्स रखना छोड़ दें. इससे होगा ये कि पकड़े जाने पर तत्काल पैसे देने की संभावना ख़त्म हो जाएगी. मोबाइल को भी मोज़े में रखना शुरू करें. अब मान लीजिए आप बिना हेलमेट के बाइक चलाते पकड़े गए या कार में बिना कागजात के पकड़े गए, ऐसे में कह दें कि अभी-अभी मेरे साथ लूट की घटना हुई है. गाड़ी के कागज, लाइसेंस, पर्स या हेलमेट तक छीन लिए गए हैं. पुलिस वालों को खूब हड़काएं, कहें ऐसी तो क़ानून व्यवस्था है तुम लोगों की. याद रखें, कल्प्रिट होने से बचने के लिए विक्टिम भी बनना हो तो बन जाएं.
9. बिना कागजात, सीट बेल्ट, हेलमेट के चलने की निन्जा टेक्निक
ये ऐसा तरीका है, जिसमें बिना एक भी नियम फॉलो किए, आप जीवन भर चालान से बचे रहेंगे. पैदल चलें. उसके लिए किसी सावधानी की जरूरत नहीं है. ऐसा करते हुए आपको ये समझ भी आ जाएगा कि दूसरों के लिए ट्रैफिक नियम का पालन करना कितना जरूरी है. बस याद ये रखें कि भाई या मोटाभाई जैसे शब्द आसपास सुनाई न पड़ें. इन शब्दों में ये ताकत है कि ये आपका रात में फुटपाथ पर चलना या मॉर्निंग वॉक करना जानलेवा बना सकते हैं.
10. और अंत में
अगर आप जीवन के परम ज्ञान को प्राप्त कर चुके हैं. मृत्यु पर विजय (दीनानाथ चौहान) टाइप कुछ पा चुके हैं. ‘मौत महबूबा है, एक दिन साथ लेकर जाएगी’ आपका फेवरेट गाना है. तय कर चुके हैं. खुद तो मरूंगा, दो-चार को साथ लेकर जाऊंगा. लेकिन नियमों का पालन नहीं करूंगा. थानोस या गुरुजी के भक्त बन चुके हैं, मौतों के पार सतयुग या अच्छे दिन लाना चाहते हैं तो आपको कौन क्या ही समझा सकता है? चालान कटवाइए. नियमों का पालन मत करिए. जीवन कट ही रहा है. चालान भी कटने दीजिए. सरकार के खजाने में अपना अंशदान करते जाइए.