हमारे समाज की आपसे कई अपेक्षाएं होती हैं. बचपन से लेकर बूढ़े होने तक के सफर में कुछ मापदंड होते हैं. जिनपर आपको खरा उतरना होता है. नहीं तो आप जज किए जाएंगे. बहुत बुरी तरह. मेजर मापदंडों की एक सूची पर नज़र मारते हैं-
दसवीं का रिज़ल्ट.
बारहवीं का रिज़ल्ट.
ग्रेजुएशन. इंजीनियरिंग या मेडिकल में हो तो बढ़िया है.
नौकरी. सरकारी हो तो बहुत ही बढ़िया है.
शादी.
लिस्ट आधे रास्ते में ही रोक रहा हूं. क्योंकि अब सबसे बड़े आइटम की बारी है. और ये मापदंड है बच्चा. हमारे समाज में बच्चा पैदा करने पर इतना ज़़ोर है कि ज़ोर में ज के नीचे दो नुक्ते लगाने चाहिए.
शादी के बाद अगर आपके घर में बच्चे की किलकारी न गूंजे तो बहुत सारे लोगों के जजमेंट गूंजते हैं. इतना भयंकर जज किया जाता है कि मैं जज के दोनों ज पर नुक्ता लगा दूं.
आप इन्फर्टाइल यानी बच्चा पैदा करने में असमर्थ घोषित कर दिए जाते हैं. अधिकतर समय दोष औरतों के माथे धर दिया जाता है. बांझ कहकर. जब पुरुषों पर दोष डालने का मूड होता है, उनके आगे नपुंसक या नामर्द जैसे शब्द जोड़ दिए जाते हैं. किसी गाली की तरह.
इतने भयंकर जजमेंट के माहौल में इन्फर्टाइल होना महज़ एक हैल्थ इश्यू नहीं रह जाता. ये डर में तब्दील हो जाता है. और डर जन्म देता है बहुत सारे मिथ्स हो. गलत सूचनाओं को. डर से ज़्यादा मिथ आज तक किसी ने पैदा नहीं किए. किसी पॉलीटिकल पार्टी के आई.टी. सेल ने भी नहीं.
डर के इस माहौल में आपको हर दूसरी चीज़ से इन्फर्टाइल होने का खतरा दिखाया जाता है. कुछ सही हो सकते हैं. कुछ गलत. खतरों की लिस्ट में एक खतरा लैपटॉप को गोद में लेकर बैठना भी है.
दावा – आदतन लैपटॉप गोद में लेकर बैठना आपको इन्फर्टाइल बना सकता है.
ये लिस्ट में उन गिने चुने दावों में से है, जिनका एक साइंटिफिक आधार है. हमें बिना किसी डर के इसे एक हैल्थ इश्यू की तरह चाहिए. और बिना किसी स्ट्रेस के अपना ध्यान इसकी साइंटिफिक इन्क्वायरी पर लगाना चाहिए. क्योंकि स्ट्रेस भी वीर्य की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव डालता है.
रीप्रोडक्शन वाला चैप्टर(जो स्किप कर दिया गया)
बात वीर्य की गुणवत्ता की है तो पहले वीर्य की बात कर लेते हैं. हमारी बॉडी में वीर्य अंडकोष में रहता है. वीर्य में शुक्राणु होते हैं. अंग्रेज़ी में कहते हैं स्पर्म. गर्भ धारण के पहले बहुत सारे स्पर्म एक रेस लगाते हैं. एग तक पहुंचने के लिए. एग माने अंडा. रेस का विनर स्पर्म और एग साथ मिलकर नए जीवन की शुरुआत करते हैं.
ये तो हो गई रीप्रोडक्शन के चैप्टर की समरी. वो चैप्टर जिसे अक्सर स्किप कर दिया जाता है. अब बात करते हैं वीर्य की क्वालिटी की. और लैपटॉप के असर पर.
हॉट इज़ नॉट कूल
महिलाओं के शरीर में एग बनने की जगह यानी आंडाशय शरीर के अंदरुनी हिस्से में बनते हैं. जबकि पुरुषों के शरीर में अंडकोष बाहरी हिस्से में होते हैं. इसका एक कारण है. पुरुषों के अंडकोष का तापमान बाकी के शरीर से कम से कम 2 डिग्री कम होता है. और तापमान में गड़बड़ होने पर वीर्य की क्वालिटी खराब हो जाती है. जैसे कुछ सब्जियां खराब हो जाती हैं. फ्रिज से बाहर रखने पर.
लैपटॉप के नीचे का हिस्सा हीट छोड़ता है. गर्माता है. क्योंकि वहीं सारी प्रोसेसिंग होती है. और ये बात तो साफ है ही कि गर्मी हमारे वीर्य की गुणवत्ता कम करता है.
पैर पसार कर बैठें
हमारे बैठने का तरीका इस दिक्कत को और बढ़ा देता है. लैपटॉप चलाते वक्त हमारी पैर चिपका कर बैठने की आदत होती है. पैर चिपका कर बैठने से जो गर्मी लैपटॉप से निकल रही होती है, वो वहीं फंसी रह जाती है.
अलग-अलग टाइप के लैपटॉप अलग-अलग हीट निकालते हैं. तो ये बताना मुश्किल है रोज़ कितनी देर तक लैपटॉप लेकर बैठना आपके लिए डेंजरस है. लेकिन अगर आप आदतन रोज़ाना घंटे भर से ज़्यादा गोदी लैपटॉप लेकर बैठे रहते हैं, तो ये चिंता की बात है.
लैपटॉप का मतलब होता है जिसको लैप के टॉप यानी गोदी के ऊपर पर रखा जाए. इसलिए ये सलाह देना आयरनी होगी कि लैपटॉप को लैप पर न रखें. लेकिन आयरनी कौनसा अपनी फुआ है. अपनी सेहत का ख्याल रखें. और टेबल पर लैपटॉप रखकर काम करें.