आंखों से आंखें मिली दिल घायल हो गया,
पलकें झुकाने की अदा का कायल हो गया.
ऐसा क्या था,हर लफ्ज खुदबखुद बयां था,
बिना कुछ कहे सुने ही यारो शायर हो गया.
वो आलम गजब था मानो वहां पर सब था,
यूं ही नहीं जज पर मुकदमा दायर हो गया.
खुद पर काबू नहीं था, होश भी तो नही था,
एक पल ही सही पर पल में नायक हो गया.
कुछ तो कमी थी जो छाई अब तक नमी थी,
छोड़ो,कतरा कतरा आंखों से बाहर हो गया.