प्रेम कि राहे साफ होती जा रही है,
हमारी सब गलतियां माफ होती जा रही है,
ये नजरों का धोका है,या धोका नजरों को है यहाँ मोहब्बते अपने आप होती जा रही है,
जो हमसे कभी खफा-खफा रहते थे आज उनकी महोब्बते बे-हिसाब होती जा रही है,
मेरी पतंग उस बेबफा के छत पर न उलझे तो अच्छा होगा पर ये कमवखत हवा खिलाफ होती जा रही है,
न जाने तुम्हारी आवाज मे क्या जादू है तुम्हारे गुनगुनाने से मेरी हर गजल लाजवाब होती जा रही है,
(हेमराजसिंह राजपूत)