कविता-माँ
कविता-माँ लिखती है खत मे,माँ लिखती है, खत मे,कि बेठा दरार आ गई है छत मे,तेरे जाने से खुशियां चली गई हैआंगन से,अब तो लौट कर आजा किसीबहाने से,रक्षाबंधन पर तेरी बहन थालीसजाए आस लगाए बैठी रहती है,मन ही मन तुझे राखी बांधने किप्यास लगाए बैठी रहती है,तेरे पिता अंदर ही अंदर टूट चुके है,अब उनकी आँखों से आंसू