अलग अलग आती मुश्किलें, अलग अलग जाल हैं.
अपने अपने शौक हैं सब के, अपने अपने ख्याल हैं,
उलझी उलझी सी राहें, बिखरा बिखरा सा है सफर,
टूटी टूटी सी नींद आती, टुकड़े टुकड़े आते ख्वाब हैं.
लाख लाख इच्छाएं सबकी,हजार हजार हैं कोशिशें,
पाव पाव सब पा लेते, पौने पौने रह जाते सवाल हैं.
सीख सीख के आगे बढें,लिख लिख के सबक छोड़ें,
दर दर अनुभव का मारा, कुआँ कुआँ जाने प्यास है.
परत परत खोलते जाएं, सीढ़ी सीढ़ी चढ़ते ही जाएं,
कदम कदम बढ़ते जाएं,मंजिल मंजिल फिर पास है.