"कुछ अधूरे ख्वाब लेकर,
इन तरसती आँखों में,
तङफ उठूँगा रातों में,
कैसे मैं जी पाऊंगा....
किया वादा जो तोङ रहे हो,
छुपके से मुंह मोड़ रहे हो,
साथ मेरा जो छोङ रहे हो,
मैं ना छोङ पाऊँगा...
मन-मिलन का संसार मेरा था,
बाकि ना कोई वार मेरा था,
सांसों में इकरार तेरा था,
हाथ मेरा तुम छोङ रहे हो...
मैं ना छोङ पाऊँगा...
जब याद तुम्हारी आयेगी,
कसक सी ऊठ जाऐगी,
सांसों की फ़िर भीनी खूश्बू,
कमरे में मेरे आयेगी,
तुम भूलोगे ये बात पुरानी....
मैं ना भूल पाऊंगा.......
अश्क तुम्हारे पीया करता,
आंखो में तेरे जीया करता,
दर्द तुम्हारे लिया करता,
ख्वाब तुम्हारे जीया करता,
सीने पर रखकर सिर तुम्हारे,
अब ख्वाब ले ना पाऊंगा...
"कुछ अधूरे ख्वाब लेकर,
इन तरसती आँखों में,
तङफ उठूँगा रातों में,
कैसे मैं जी पाऊंगा....
विरह- वियोग में याद करना,
दिल में ये फरियाद करना,
पलको को झुकाकर सबसे,
आंखो को छुपाकर रब से,
मुझे तुम आवाज करना,
फिर मैं चला आऊँगा...
"कुछ अधूरे ख्वाब लेकर,
इन तरसती आँखों में,
तङफ उठूँगा रातों में,
कैसे मैं जी पाऊंगा....(अमृत कैलाश)