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क्या यह सही है ?

15 अप्रैल 2018

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देश में धरा 375 होने के बावजूद भी देश हर 30 मिनट में बलात्कार हो रहे है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ श्लोगान हत्ता क्र देना कहिये, इसके विपरीत बेटे को मनाओ और अगर नही माने तोह थप्पड़ लगओ। मैं किसी के खिलाफ नही हूँ पर कश्मीर में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ महज आठ साल की बच्ची। जिस उम्र में हम खेलते-कूदते है उसी उम्र में कुछ दरिंदे अपनी हवस का नंगा नाच ऐसा करते है कि आठ साल की बच्ची तक नही छोड़ते। कभी हो सके तोह एक औरत बन कर देखो। आशिफ़ा और निर्भया की जगह खुद को लेकर देखो। बलात्कार हुआ तोह तुम FIR करवाने जाओ पुलिस को अपने विवरण बताओ, लोग तुम्हारे लिए candle march निकाले, opposition सरकार पर आरोप लगाए, मीडिया तुम्हारे आबरुब पर TRP बढ़ाये, तुम्हारा मंगेतर सगाई की अंगूठी वापस लौटाए, तुम्हारे माँ-बाप किसी को मुह दिखाने लायक ना रह जाये अब इसके बाद तुम किसी इंसान के साथ नज़रे मिलाकर देखो। इंसान ये क्यों भूल जाता है कि उसे एक औरत ने जन्म दिया है क्यों वो उसे अपनी हवस का सिकार बनाता है उसकी इज्जत लूटता है उसके साथ बलात्कार करता है मेरी नज़र में बलात्कार कत्ल से बढ़ा जुर्म है क्योंकि कत्ल में तोह इंसान एक बार मरता है पर किसी उस औरत से पूछा कि उसे कैसा लगता होगा। वो अंदर ही अंदर घुटती रहती है। उस घिनौने काम करने वाले को ना सिर्फ सात साल की सजा होनी चाहिए बल्कि उस दरिंदे को तड़पा-तड़पा के मरना चाहिए, उसकी आंखें निकाल देनी चाहिए जिन आंखों से उसने औरत को गंदी नजर से देखा। उसके वो हाथो काट देने चाहिए। जिन हाथो ने उसने औरत का आँचल खिंचकर उसे बेइज्जत किया। उसे ऐसी सजा देनी चाहिए कि वो जरा-जरा माफी की भीख मांगे। क्यों डर लगा, महसूस हुआ ना कि सब कुछ खत्म हो गया। तुमने जिस लड़की का बलात्कार किया है उसे हर दिन हर पल सिर्फ इन्ही पल सिर्फ यही महसूस होता है। हाँ मैं कड़वा हूँ मेरे अंदर नफरत भरी है बुराई के लिए पर कड़वा इंसान हमेसा सच्चा होता हैं।

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