तलब बरकरार रहनी चाहिए हासिल तक,
थोड़ा सा अनुशासन गर पहुंचना है साहिल तक.
बेहतरीन रवैया भी अपनाएं मरते दम तक,
मंजिल न मिले तो भी डगर यही है काबिल तक.
जैसे जब तलक प्यार सीमित है खुद तक,
नहीं मिलता कभी किसी को वो भी जाहिर तक.
बर्तन भी बनने से पहले जाता है आग तक,
यूं ही नहीं पहुंचता है कोई भी शख्स माहिर तक.
नजर गर होगी सिर्फ मछली की आँख तक,
मंजिल खुद चल कर आयेगी उस मुसाफिर तक.