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वाह रे..प्रबंधन

8 मार्च 2017

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भूखे पेटों का एक मूक अनशन पेटों की आग दावानल की तरह फ़ैल गई थी चारों तरफ राजनीति के गलियारों मे भी चर्चा.. मंझे मंझे से रणनीतिकार निकाले गए अन्न रूपी अनन्य शब्द भंडार वाकपटुता के धनी कलाकारों ने बाँट दिए अन्न रूपी शब्द इन भूखे पेटों को वे थोड़ा छटपटाये थोड़ा विचलित फिर चल दिये हर बार की तरह अपनी राह पर अपनी भूख को लिए साथ, इधर कुटिल हँसी थी... असली अन्न के साथ थे तरह तरह के व्यंजन कितनी कुशलता से किया था उन्होंने भूखे पेटों के साथ मनोरंजन इसी को कहा जाता सफल प्रबंधन।

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