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आधी रात को

hindi articles, stories and books related to Aadhi raat ko


कितना कुछ बदल जाता है, आधी रात कोकवि: शिवदत्त श्रोत्रियजितना भी कुछ भुलाने कादिन में प्रयास किया जाता हैअनायास ही सब एक-एक करमेरे सम्मुख चला आता हैकितना कुछ बदल जाता है, आधी रात को....असंख्य तारे जब साथ होते हैउस आसमान की छत परमैं खुद को ढूढ़ने लगता हूँ तबकिसी कागज़ के ख़त परधीरे धीरे यादों का एक फिरघे

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