आज 21 फरवरी, इस दिन को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रुप में मनाया जाता है। वर्ष 1999 में यूनेस्को ने इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया था सन 2000 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया था। तब से इस दिवस को हम अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मना रहे हैं। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है विश्व भर में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता एवं बहुभाषिकता का प्रसार करना और दुनिया में विभिन्न मातृ भाषाओं के प्रति जागरूकता लाना है। मातृभाषाओं को सम्मान देना व लोगों को अपनी मातृभाषा में बोलने के लिए प्रोत्साहित करना ही इस दिन का उद्देश्य है।
मातृभाषा वह भाषा है जो मनुष्य जन्म लेने के बाद बोलता है।
पूरे विश्व में सात हजार के करीब भाषाएं बोली जाती हैं जिनमें 6900 प्रमुख भाषाएं हैं। इसी प्रकार 1961 की जनगणना के अनुसार भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं। जिसमें 42.2 करोड़ लोगों की मातृभाषा हिंदी है। हिंदी हमारी मातृभाषा है यह वह भाषा है जिसमें हम अपने को व्यक्त कर सकते हैं,। हमारे विचार, हमारी भावनाएं हमारी संस्कृति हमारे गौरव को अगर हम अक्षुण्ण रखना चाहते हैं तो हमारी मातृभाषा ही वह माध्यम है जो हमारे उद्देश्य को पूरा कर सकती है। हमारी मातृभाषा हमारा गौरव है हमारी पहचान है हमारे भाव है हमारी अभिव्यक्ति है। महात्मा गांधी जी ने कहा था श्रद्धा की कोई भी भाषा नहीं है हृदय हृदय से बातचीत करता है और हिंदी हृदय की भाषा है। हम अपनी मातृभाषा में ही अपने आप को सर्वोत्तम रूप से अभिव्यक्त कर सकते हैं। विदेशी भाषा कितनी ही श्रेष्ठ स्वीकार्य, क्यों ना हो, मातृभाषा का स्थान नहीं ले सकती। अतः जरूरत है की आज अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हम संकल्प ले की अपनी भाषा को हम फिर से गौरव और सम्मान का स्थान देंगे। अपनी मातृभाषा में ही अपने काम करने की कोशिश करेंगे। सिर्फ यही नहीं अपने लोगों को मातृभाषा में काम करने वह बोलने के लिए जागरूक करेंगे। अपने घर में अपनी मातृभाषा में बात करेंगे। हम अपने हृदय से मातृभाषा को सम्मानित करेंगे। मातृभाषा की उन्नति में हमारी उन्नति ,सफलता छिपी हुई है।
हमारी नई शिक्षा नीति में भी बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देने की पहल की गई है ताकि जो भी पढ़ाया जाए वे उसे समझ सके हृदयगम कर सकें उसे रटे नहीं जीवन में उतार सकें। इस दिवस पर हमें बस छोटी सी पहल करनी है अपनी मातृभाषा को हृदय से स्वीकार करना है श्रेष्ठ मानना है तभी हम उसे वह स्थान दे पाएंगे जो उसका है।
। (© ज्योति)