shabd-logo

भावस्निग्ध मन

hindi articles, stories and books related to Bhavasnigdh man


featured image

कंपकपाया सा क्युँ है ये, भावस्निध सा मेरा मन?मन की ये उर्वर जमीं, थोड़ी रिक्त है कहीं न कहीं!सीचता हूँ मैं इसे, आँखों में भरकर नमीं,फिर चुभोता हूँ इनमें मैं, बीज भावों के कई,कि कभी तो लहलहाएगी, रिक्त सी मन की ये जमीं!पलकों में यूँ नीर भरकर, सोचते है मेरे ये नयन?रिक्त क्युँ है ये जमीं, जब सिक्त है ये

संबंधित टैग्स

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए