मापनी- २२१२ १२२ २१२२ १२२"दिग्पाल छंद"जब गीत मीत गाए मन काग बोल भाएविरहन बनी हूँ सखियाँ जीय मोर डोल जाएसाजन कहाँ छुपे हो ले राग रंग अबिराऋतुराज बौर महके मधुमास घोल जाए।।आओ न सजन मेरे कोयल कसक रही है पीत सरसो फुलाए फलियाँ लटक रहीं हैदादुर दरश दिखाए मनमोहना कहाँ होपपिहा तरस
"रूपमाला/मदन छंद"आप बचपन में कहाँ थे आज है क्या हालदेख जाओ गाँव आकर खो गए हैं ताल।हर नहर सूखी मिलेगी बाग वन आधारपेड़ जामुन का खड़ा है बैठ कौआ हार।।-१हो सके तो देख लेना बंद सारे द्वारझाँकती मानों चुड़ैली डर गई दीवार।खो गई गुच्छे की चाभी झुक गए है लोगनेवला मुड़ मुड़ के देखे कर र