अमरावती सी अर्णवनेमी पुलकित करती है मन मन को , अरुणाभ रवि उदित हुए हैं खड़े सभी हैं हम वंदन को . अलबेली ये शीत लहर है संग तुहिन को लेकर आये , घिर घिर कर अर्नोद छा रहे कंपित करने सबके तन को . मिलजुल कर जब किया अलाव गर्मी आई अर्दली बन , अलका बनकर ये शीतलता छेड़े जाकर