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मनोज सिंह
मनोज सिंह की डायरी
29 अप्रैल 2017
बाहुबली २
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बाहुबली २ एक बेहतरीन फिल्म है ! इसे सच्चे अर्थों में पहली भारतीय फिल्म कहा जा सकता है ! यह फिल्म ना सिर्फ उत्तर या दक्षिण भारत की है ना ही सिर्फ पूरब या पश्चिम की ! यह कई कारणों से अखिल भारतीय के साथ अंतर्राष्ट्रीय हिन्दुस्तानी फिल्म भी बन चुकी है ! जिसे फिर हर हिन्दुस्तानी
भारत से लेकर अमेरिका और दुबई से लेकर यूरोप तक में देख रहा है ! और जो नहीं देख रहा उसे देखना चाहिए ! जिसके अनेक कारण हैं ! यह मनोरंजक है ! फिल्म अंत तक दर्शक को हिलने नहीं देती ! कसी हुई स्टोरी लाइन है जिसमे रोचकता बनी रहती है ! इसके सीन भव्य हैं ! प्राकृतिक मनमोहक विहंगम दृश्य परोसा गया है ! अद्भुत फोटोग्राफी और उसका बेहतरीन प्रस्तुतिकरण है ! कह सकते हैं की यह एक ग्रेट शोमेन की फिल्म है ! जिसमे ना तो राजकपूर का जबरन ठूसा हुआ ग्लैमर है और ना ही आज के किसी तथाकथित शोमेन की बीमार मानसिकता दिखती है
जो देवदास तक को एक टूटे हुए प्रेमी से सिर्फ एक शराबी बन देता है और उसकी प्रेमिका को किसी रंगीन महफ़िल में नचवा देता है ! इन लोगों की संक्रामित मानसिकता ने कितना नुक्सान किया है उस पर एक किताब लिखी जा सकती है ! ये इतने बीमार हैं की एक शूरवीर बाजीराव को किसी मस्तानी का सिर्फ आशिक बना देते है !यही नहीं अपनी फिल्म को हिट करने के लिए पद्मावती के ऐतिहासिक चरित्र के साथ छेड़छाड़ करने के चक्कर में रहते है ! बाहुबली का डायरेक्शन इन सब को एक करारा जवाब है की हिन्दुओं को नीचा दिखाए बिना और हिन्दुस्तान के गौरवशाली इतिहास से छेड़छाड़ किये बिना भी एक सुपर हिट फिल्म दी जा सकती है ! बाहुबली के फाइट सीन तो इतने मौलिक हैं की फिल्म की रचनाशीलता उभर आती है और यह अपने समय के साथ खड़े होकर भी इस काल में पसंद की जा सकती है ! इसका श्रेय फिल्म की पूरी टीम को जाता है ! इसे बच्चे-बूढ़े-जवान परिवार के साथ देख सकते हैं ! युगल जोड़े रोमांस का मजा ले सकते हैं ! यह हॉलीवुड प्रेमियों को भी रोमांचित करेगी और इसे देख कर उनका अभिमान भी जागेगा की हिन्दुस्तान इस क्षेत्र में भी अब पीछे नहीं ! कह सकते हैं की यह मेड इन इंडिया का एक सफल प्रयोग है जिसे देख कर घर का पैसा घर में ही रहेगा ! बाहुबली बॉलीवुड के स्थापित मानक और कुछ मिथ्यों को भी तोड़ती है ! यह बॉलीवुड के "बौने खानों" के जबरन थोपे गए हीरोइज़्म के आकर्षण को धुंधला करती है ! यह वो झूठा नायकत्व है जिसे बड़ी चतुराई से एक गिरोह के द्वारा प्लांट किया गया था ! इन बौने खानों के चारो तरफ जिस तरह एक मजबूत किला बना दिया गया था उसकी नीव को बाहुबली की सफलता ने हिला दिया है! जिससे इस किले के साथ खड़ी कई दीवारें
ध्वस्त हुई है ! पहले बाहुबली १ और अब बाहुबली २ की सफलता यह प्रमाणित करती है की डी कम्पनी के पाले हुए समीक्षकों और मीडिया दलालो के बिना भी फिल्म सुपर-सुपर हिट हो सकती है ! जिसे फिर किसी कपिल शर्मा के भौंडे कार्यक्रम के द्वारा प्रचार की जरूरत नहीं ! इस तरह यह बॉलीवुड के अहम को तोड़ती है ! जिसके बूढ़े हो रहे बौने खानो के बासीपन को जबरन झेलने के लिए मजबूर दर्शक के सामने बाहुबली फिल्म का हीरो प्रभास एक ताजी हवा का झोंका बन कर आया है ! यह देवआनंद राजेश खन्ना अमिताभ धर्मेंद्र विनोदखन्ना के उस युग की याद दिलाती है जब इन हीरों को प्रत्यक्ष देखकर भी युवतियां अपना होश खो देतीं थीं ! यह पुनः वैजन्तीमाला हेमामालनी रेखा और श्रीदेवी की याद दिलाती है और बतलाती है की आज भी दक्षिण भारत में अनुष्का शेट्टी और रमैया कृष्णन जैसी खूबसूरत और सशक्त अभिनेत्रियां हैं !इन दोनों के अलावा भी अन्य कई कलाकारों ने बाहुबली में बेहतरीन एक्टिंग की है !यूं तो बाहुबली एक व्यवसायिक फिल्म है
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