आज सुबह के समाचार पत्र में एक समाचार था कि ''पुनर्विवाह के बाद भी विधवा पूर्व पति की कानूनी वारिस '' ये निर्णय महिला अधिकारों पर पंजाब व् हरियाणा हाईकोर्ट का था ,अहम् फैसला है किन्तु क्या सही है ? क्या एक महिला जो कि दुर्भाग्य से विधवा हो गयी थी और समाज के प्रगतिशील रुख के कारण दोबारा सुहागन