“गीतिका”यादें सहज अतीत मिली है वीणा को संगीत मिली है मन महफिल पहचान मिली धूप खिली है शीत मिली है॥ वाह अनोखा है यह संगम बहुत पुरानी प्रीत मिली है॥ कुछ न कहना कुछ नहीं सुननाचाहत आज सभीत मिली है॥ ललक परखती आँख पुरानीबिछड़े मौसम मीत मिली है॥ आओगे तुम एकबार क्या सुनने मुझे प्रत