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पुत्र-प्रेम

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लघुकथा"पुत्र- प्रेम"अरमानों की बारात आयी और सगुन की शादी सिद्धार्थ के साथ बहुत ही छोटी उम्र में हो गई, जब वह इक्कीसवें बसंत पर कदम रखी तो उसका गौना हुआ और वह अपने सिद्धार्थ को पाकर विभोर हो गई। न जाने कितने सपने सजाई थी अपने बचपन के उन घरौंदों के साथ जो सखियों ने खेलते-कूदते साथ मिलकर बनाया था। अपने

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